दिल्ली को सीलिंग से राहत मिलने की उम्मीद धूमिल होती नजर आ रही है. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार और डीडीए दोनों ही पसोपेश में हैं. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने जहां हाथ खडे़ कर दिए हैं, वहीं केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सीलिंग के मुद्दे को लेकर मॉनिटरिंग कमेटी पर निशाना साधा है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि मॉनिटरिंग कमेटी को जमीनी हकीकत के बारे में जानकारी नहीं है. एयर कंडीशन कमरे में बैठकर निर्णय नहीं लिए जा सकते. हम लोग जनता के नुमाइंदे हैं. हमें हकीकत की जानकारी है.
हरदीप पुरी का कहना है कि नीति बनानी सरकार की जिम्मेदारी है. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कोर्ट से मास्टर प्लान से रोक हटाने की अपील की थी ताकि उसमें संशोधन किया जा सके. उम्मीद है मास्टर प्लान में संशोधन से रोक हट जाएगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, जहां तक सीलिंग का सवाल है, मॉनिटरिंग कमेटी जो कर रही है. मैं उसको दोहराना चाहूंगा. कहीं ऐसी बातें सामने आ रही है. कुछ प्रॉपर्टी जहां कन्वर्जन दिया हुआ है वह सील हो रही है. कई सीलिंग की घटनाएं हैं, जो डीसिल करने पड़ रहे हैं. मैं कोर्ट के दिशानिर्देश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता. मगर यह हमारी जिम्मेदारी बनती है. इसको पूरी तरीके से समझना, देखना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि 2006 में मास्टर प्लान बनाया गया था 2021 के लिए. उसके बाद बहुत डेमोग्राफिक बदलाव हुए हैं. बहुत से लोग दिल्ली में आए हैं. हमें दिल्ली के लोगों की समस्याओं का समाधान करना है.
पुरी ने कहा, यह वास्तव में मानवीय मुद्दा है. उसका समाधान निकालना है और आप कमरे में बैठकर वह यह कह दें कि यह कर देंगे, वह कर देंगे. आपको मालूम है कि सीलिंग के कारण कितने लोग बेरोजगार हुए हैं. कितने विस्थापित हुए हैं. मैं सीलिंग की आलोचना नहीं कर रहा हूं. मगर मानवीय हकीकत को देखकर ही काम करना चाहिए. ग्राउंड रियलिटी को समझेंगे नहीं तो टेक्निकल बातें करने का कोई फायदा नहीं है.