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नर्सरी एडमिशन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

दिल्ली में नर्सरी एडमिशन के नाम पर पैसा ऐंठने वाले स्कूलों के लिए बुरी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में नर्सरी एडमिशन पर अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

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नर्सरी एडमिशन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
नर्सरी एडमिशन पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

दिल्ली में नर्सरी एडमिशन के नाम पर पैसा ऐंठने वाले स्कूलों के लिए बुरी खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में नर्सरी एडमिशन पर अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

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साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि वह सुनवाई की पूर्व निर्धारित तारीख से पहले करके दिशानिर्देशों के खिलाफ याचिका पर तेजी से सुनवाई करे. न्यायमूर्ति एच एच दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश अंतरिक आदेश की प्रकृति का है, इसलिए वह उसमें हस्तक्षेप नहीं कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से कहा कि स्कूलों के हित और बच्चों के कल्याण के लिए वह यथासंभव तेजी से सुनवाई करे. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं- ऐक्शन कमेटी ऑफ अनऐडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स, फोरम फॉर प्रोमोशन ऑफ क्वालिटी एड्यूकेशन फॉर ऑल और कुछ अभिभावकों को 11 मार्च की सुनवाई पहले करने के लिए आवेदन दाखिल करने की छूट दे दी.

खंडपीठ ने कहा, ‘चूंकि अंतरिम आदेश अंतरिम राहत प्रदान करने से इनकार की प्रकृति का है, हम उस आदेश में भी दखल नहीं देना चाहते. इसलिए, हम यह विशेष अनुमति याचिका अस्वीकार करते हैं.’ अदालत ने कहा, ‘हम हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश से आग्रह करते हैं कि वह स्कूलों के हित में और बच्चों के कल्याण में याचिका की सुनवाई यथासंभव तेजी से करने पर विचार करे और उसके लिए हर कोशिश करे.’

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प्रभावित पक्षों को 11 मार्च से पहले सुनवाई करने के लिए एकल न्यायाधीश के समक्ष आवेदन दायर करने की छूट प्रदान करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अगर इस तरह के आवेदन किए जाते हैं तो एकल न्यायाधीश से अनुरोध किया जाता है कि वह इस पर विचार करें और सुनवाई तेज करें.

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपीलों को निबटाते हुए खंडपीठ ने साफ कर दिया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई विचार प्रकट नहीं कर रही है. शीर्ष अदालत ने खंडपीठ के फैसले के एक पैराग्राफ पर एतराज जताने वाले ऐक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स और फोरम फॉर प्रोमोशन ऑफ क्वालिटी एड्यूकेशन फॉर ऑल के अनुरोध के साथ सहमति जताई और फैसले से उन लाइनों को हटा दिया.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश की पुष्टि की थी. एकल पीठ के फैसले में उप राज्यपाल के 18 दिसंबर 2013 के मार्गनिर्देशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

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