सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएस सुमेध सिंह सैनी की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए राहत देने से इनकार कर दिया है, जिसमें उन्होंने बलवंत सिंह मुल्तानी के अपहरण और हत्या मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
चंडीगढ़ के पूर्व SSP सुमेध सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साल 1991 में पंजाब उग्रवाद के दौरान बलवंत सिंह मुल्तानी के अपहरण और हत्या के मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया और उनकी याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नही हैं.
सुमेध सिंह ने अपनी याचिका में पंजाब उग्रवाद के दौरान बलवंत सिंह मुल्तानी के अपहरण और हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द न करने के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. और सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी, जिससे शीर्ष अदालत ने इनकार कर दिया और कहा कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है.
क्या है मामला
यह पूरा मामला 1990 दशक का है. उस दौरान सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे. 1991 में उन पर एक आतंकी हमला हुआ. उस हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि सैनी खुद भी जख्मी हो गए थे. उसी मामले में पुलिस ने सुमेध सैनी के आदेश पर पूर्व आईएएस के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी को गिरफ्तार किया था.
पुलिस ने मुल्तानी को हिरासत में रखा और फिर बाद में कहा गया कि वह पुलिस की गिरफ्त से फरार हो गया. परिजनों का आरोप था कि बलवंत सिंह मुल्तानी की पुलिस के टॉर्चर से मौत हो गई. सुमेध सैनी और अन्य पुलिस अफसरों के खिलाफ मोहाली में केस दर्ज किया गया था.