दिल्ली सरकार की ओर से जारी एक आदेश को लेकर विवाद शुरू हो गया है. दरअसल, दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को एक निर्देश भेजा है. इसके तहत स्कूल में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं के परिवार वालों से जुड़ी जानकारियां मांगी गई हैं. इनमें परिवार के लोगों का वोटर कार्ड नंबर और आधार कार्ड नंबर भी शामिल है.
स्कूलों को जारी किए गए आदेश की एक कॉपी आजतक के हाथ लगी. इसमें साफ तौर पर स्कूल में पढ़ने वाले हर छात्र-छात्रा के सगे संबंधियों और घरवालों का पूरा रिकॉर्ड इकट्ठा करने का आदेश दिया है. इसमें बच्चे का नाम, पिता का नाम, वोटर कार्ड नंबर और आधार कार्ड नंबर की जानकारी मांगी गई है. इसके अलावा मकान खुद का है या किराये का, और कितनी पढ़ाई की है यानि उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या है, इन सब की जानकारी इस स्कूल को जुटानी है. इस काम के लिए अगले 10 दिन तक का समय दिया गया है.
इस आदेश से सबसे ज़्यादा पीड़ित टीचर्स नजर आ रहे हैं. दिल्ली की इकलौती सरकारी टीचर्स की संस्था गवर्मेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन यानि जीएसटीए के महासचिव संजय दहिया कहते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के ऊपर पहले से ही बहुत ज़्यादा काम का बोझ है. अब इस नए आदेश के बाद शिक्षक- शिक्षिकाओं में काफी रोष है. उनका कहना है कि ये काम काफी हद तक स्कूली प्रक्रिया से बाहर है और इसके लिए जरूरी वक़्त भी उनके पास नहीं है.
लोगों की प्राइवेसी में दखल दे रही सरकार
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इस मुद्दे पर आजतक से बात करते हुए कहा कि इस तरह का आदेश ग़ैरकानूनी है. सरकार को कतई हक नहीं है कि बच्चों के बीच भेदभाव करे. उन्होंने कहा कि बच्चों की पारिवारिक स्थिति का आंकड़ा जुटाए और उनके माता-पिता की शैक्षणिक योग्यता के बारे में पूछे. इतना ही नहीं, दिल्ली BJP ने कहा है कि केजरीवाल सरकार का ये कदम राजनीति से प्रेरित है. वो अपना वोट बैंक भी बच्चों के परिवार में ढूढ़ रहे हैं.