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राजधानी में हवा हुई जहरीली, स्कूलों ने बंद की आउटडोर स्पोर्ट्स एक्टिविटीज!

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कुछ स्कूलों ने अपने स्कूल में स्पोर्ट्स एक्टिविटीज बंद कर दी हैं. साथ ही स्कूल में सुबह की प्रार्थना भी बाहर ग्राउंड में करवाने की बजाए अंदर हॉल में करवाई जा रही है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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राजधानी में लगातार बढ़ता प्रदूषण एक गंभीर चिंता का विषय है. जाने-अनजाने इस प्रदूषण का सबसे खतरनाक अंजाम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. खासकर 5 साल से कम उम्र वाले छोटे बच्चे, जो इस प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. सुबह प्रदूषण का भयानक मंजर हम अपनी आंखों से देख सकते हैं और इसी हवा में बच्चे सुबह उठकर स्कूल जाते हैं.

स्कूल जाना तो बंद नहीं कर सकते लिहाजा इस प्रदूषित हवा में रुमाल या मास्क के सहारे बचते हुए बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं. मासूम बच्चे इर्रिटेशन की वजह से मास्क भी पहनने से कतराते हैं.

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कुछ स्कूलों ने अपने स्कूल में स्पोर्ट्स एक्टिविटीज बंद कर दी हैं. साथ ही स्कूल में सुबह की प्रार्थना भी बाहर ग्राउंड में करवाने की बजाए अंदर हॉल में करवाई जा रही है.

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पूसा रोड पर स्थित रामजस स्कूल ने जहरीली हवा के इस प्रकोप को देखते हुए अपना स्पोर्ट्स ग्राउंड खाली करवा दिया है. प्रिंसिपल किरण बिंद्रा ने 'आज तक' को बताया कि सभी स्टूडेंट्स को स्पोर्ट्स पीरियड में भी अंदर ही क्विज या दूसरी इंडोर एक्टिविटीज करवाई जा रही हैं. ताकि बच्चे कम से कम प्रदूषण के संपर्क में आएं और उनका स्वास्थ्य ठीक बना रहे.

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कुछ पैरेंट्स ने स्कूल बंद करने की डिमांड की तो कुछ ने परमानेंट सॉल्यूशन के लिए चिंता जताई. सुबह 7 बजे जब हरीश अग्रवाल मुंह पर कपड़ा बांधकर अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने आए तो इस प्रदूषित हवा के बारे में चिंता जाहिर करते हुए कहा, "बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, हम बच्चों को आयुर्वेदिक दवाइयां खिला रहे हैं. लेकिन इस हवा से कैसे बचाएं."

पैरेंट बच्चों के स्वास्थ और बिगड़े हालात को लेकर चिंतित हैं. बच्चों को जुखाम, खांसी और सांस लेने में शिकायत जैसी समस्या अभी से होने लगी हैं. लेकिन अफसोस चिंता जाहिर करने के बावजूद हम बच्चों को इस हवा में सांस लेने से रोक नहीं सकते.

400 से 500 के बीच पहुंच चुका एयर क्वालिटी इंडेक्स अपने आप में गंभीर चिंता का विषय है. इस तरह के हालात में किसी भी सामान्य व्यक्ति को सांस नहीं लेना चाहिए. लेकिन, अफसोस हम छोटे-छोटे मासूम बच्चों को भी इसी हवा में खेलने-खिलाने और पढ़ाने पर मजबूर हैं.

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