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सीलिंग के विरोध में रामलीला मैदान में जुटे कारोबारियों के परिवार

सीलिंग के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल महिलाओं की एक ही मांग है कि सीलिंग से उन्हें आजाद किया जाए. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दरवाजे से सीलिंग रोकने की कोशिशों पर जमकर फटकार लगाई है.

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रामलीला मैदान में लगे विरोध के पोस्टर
रामलीला मैदान में लगे विरोध के पोस्टर

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दिल्ली के कारोबारी बुधवार को अपनी दुकानों पर ताला ठोककर सीलिंग के खिलाफ परिवार समेत रामलीला मैदान में डटे. औरतों और बच्चों के साथ जारी इस प्रदर्शन में शामिल हुई महिलाओं की एक ही मांग है कि सीलिंग से उन्हें आजाद किया जाए. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दरवाजे से सीलिंग रोकने की कोशिशों पर जमकर फटकार लगाई है.

दरअसल सीलिंग के खिलाफ आंदोलन में अब तक तो दिल्ली के कारोबारी मोर्चा संभाले हुए थे, लेकिन अब उनके परिवारों ने भी संघर्ष का मोर्चा थाम लिया है. रामलीला मैदान में औरतों बच्चों और बुजुर्गों की आमद शुरू हुई तो दिल्ली की सियासत करने वाले सहम उठे.

प्रदर्शन में शामिल इन औरतों का कहना है कि जबसे सीलिंग अभियान शुरू हुआ है, खाने-पीने तक का संकट खड़ा हो गया है. बच्चों के स्कूल छूट गए हैं. शादी-ब्याह रुक गए हैं. व्यापारियों के मुताबिक बुधवार को करीब 3,000 छोटे बड़े बाजारों में दुकानें बंद रहीं और करोड़ों का व्यवसाय प्रभावित हुआ.

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दिल्ली के कारोबारियों के समर्थन में रामलीला मैदान पहुंची महिलाएं जो सवाल पूछ रही हैं उसका जवाब सियासत वालों के पास नहीं है. न आम आदमी पार्टी के पास, न बीजेपी के पास और न ही कांग्रेस के पास. इनका सवाल है कि जब 1975 से सब ठीक चल रहा था तो अचानक ताले लगाने की नौबत कैसे आ गई?

इधर, महिलाएं अपना दुखड़ा सुना रही थीं उधर, पूरी दिल्ली में कारोबारियों का प्रदर्शन जारी था. सीलिंग की वजह से राजधानी के बड़े बाजारों में वीरानी छाई हुई है. चाहे कनॉट प्लेस हो या राजौरी गार्डन या करोल बाग, दुकानों पर ताले लटके हैं.

सुप्रीम कोर्ट की फटकार

इधर सुप्रीम कोर्ट ने कनवर्जन शुल्क लेकर सीलिंग रोकने की कोशिश पर सरकार और व्यापारियों दोनों को आड़े हाथों लिया है. कोर्ट ने पूछा है कि जो तख्तियां नहीं उठाते उनके कोई अधिकार नहीं होते? अगर व्यापारियों के अधिकार हैं तो क्या आम जनता के अधिकार नहीं हैं? दुकानें खोल दें तो पार्किंग और पर्यावरण की मुश्किलों का क्या करेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि हमदर्दी जताने वाले तब कहां थे जब धड़ाधड़ अवैध निर्माण हो रहे थे?

बुधवार को बाजार रहे बंद

सीलिंग के विरोध में व्यापारियों ने बुधवार को अपनी दुकानें बंद रखीं, जिससे शहर के अधिकतर प्रमुख बाजार बंद रहे.

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, 'हजारों व्यापारी हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं और शहर के सभी बाजारों में दुकानें बंद हैं.' उन्होंने कहा कि करीब 40 फीसदी व्यवसाय प्रभावित हुआ है और करीब 250 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. खंडेलवाल ने बताया कि सीलिंग के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का भी पालन नहीं किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि DMC एक्ट 1957 के मुताबिक सीलिंग से पहले नोटिस देना होता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

आज की हड़ताल सीएआईटी और ऑल दिल्ली ट्रेडर्स एंड वर्कर्स एसोसिएशन ने बुलाई है. बंद किए गए बाजारों में सदर बाजार, लाजपत नगर, चांदनी चौक, करोल बाग और चावड़ी बाजार शामिल हैं.'

खंडेलवाल ने कहा कि सीलिंग अभियान से व्यापारियों, उनके कर्मचारियों और परिवार के सदस्यों समेत 40 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. व्यापारी सीलिंग बंद करने के लिए केंद्र से अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने दिल्ली सरकार से भी सीलिंग के खिलाफ एक विधेयक पारित करने की मांग की है. इसके अलावा मांग ये भी है कि जो दुकानें सील हो चुकी हैं उन्हें तुरंत डीसील किया जाए और 31 दिसम्बर को कट ऑफ डेट मानकर एक एमनेस्टी स्कीम लायी जाए.

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