दिल्ली में आठ मार्च को अमर कॉलोनी की दुकानों के सील होने के बाद उनके जोरदार प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 14 मार्च को यहां से ऐलान किया था कि अगर सीलिंग नहीं रुकी तो वह 31 मार्च से इनके साथ धरने पर बैठेंगे. इसी को ध्यान में रखते हुए मार्केट की एसोसिएशन ने जैसे-तैसे पैसे इकट्ठे करके स्टेज बनाया. LCD स्क्रीन और कुर्सियां लगाईं और साथ ही मुख्यमंत्री के लिए दो कमरे का एक मकान खाली किया. इन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री इनके बीच आएंगे और अनशन पर बैठेंगे. आज वह स्टेज खाली है, कुर्सियां सूनी पड़ी हैं. लाउडस्पीकर मुख्यमंत्री की आवाज को तरस रहे हैं और मुख्यमंत्री जी हरियाणा में रैली करने निकल पड़े.
मुख्यमंत्री के इस यू-टर्न से व्यापारियों में भारी मायूसी है. वे बड़ी उम्मीदों से मंच सजाए बैठे थे, लेकिन सब धरा का धरा रह गया. व्यापारी नीरज ने कहा, "मुख्यमंत्री ने हमें अप्रैल फूल बना दिया, अच्छा धोखा दिया. ऐसे वक्त में जब उन्हें हमारे साथ खड़ा होना चाहिए था, वह हरियाणा में सियासत करने पहुंच गए, इसका जवाब उनको जनता देगी."
प्रदर्शन स्थल पर मुख्यमंत्री के नहीं पहुंचने पर व्यापारियों ने सड़क पर अनोखा प्रदर्शन किया. व्यापारी जिनके बड़े-बड़े शोरूम हैं, वे सड़क पर बूट पॉलिश करते दिखे. कोई नारियल पानी बेच रहा था तो कोई कुल्फी, कोई भल्ला पपड़ी खिला रहा था तो कोई रेहड़ी पर 100 रुपये में चिल्ला-चिल्ला कर कपड़े बेच रहा था. दिल्ली में लेडीज सूट के कपड़ों का ये सबसे बड़ा बाजार शनिवार को पटरी बाजार में तब्दील हो गया.
जूता पॉलिश करने वाले नवीन बवेजा, दीपक बुराड़ी अमर कॉलोनी मार्केट के बड़े चेहरे हैं. इनके पिता इस बाजार के अध्यक्ष रह चुके हैं. बंटवारे के बाद इन्हें इस बाजार में एक छोटी सी जगह मिली थी जिस पर इन्होंने रहने के साथ-साथ आमदनी के लिए कई कारोबार किए. आज एक कपड़े की दुकान के सहारे इनके साथ दुकान में काम करने वाले 6 और लोगों का भी घर चल रहा था, लेकिन अब सब सड़क पर आ गए हैं.
इस बाजार के सबसे पुराने परिवारों में एक संजय अरोरा और उनके पिता जी ज्योति अरोरा आज भल्ला पपड़ी बेच रहे हैं, घर में बीमार मां हैं जिन्हें पैरालिसिस हो गया है. 70 साल के बुजर्ग पिता को शुगर और बीपी की बीमारी है, लेकिन सीलिंग की वजह से आज पूरा परिवार सड़क पर है.
वहीं परविंदर की दुकान 40 साल से इन मार्केट में है. रिफ्यूजी परिवार था. इन्हें इस बाजार में एक दुकान और घर आवंटित किया गया था. लेकिन सीलिंग के विरोध में केजरीवाल के नहीं आने पर नाराज इनका परिवार गोलगप्पे बेच रहा है. घर की महिलाओं ने साफ कहा है कि अप्रैल फूल बनाने वाला मुख्यमंत्री नहीं चाहिए.