ओला और उबर जैसी एप बेस्ड कैब सर्विस के खिलाफ ऑटो और टैक्सी चालकों की हड़ताल राजधानी में दूसरे दिन भी जारी है. हालांकि मंगलवार के मुकाबले बुधवार को हड़ताल का असर थोड़ा कम हुआ, लेकिन रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर हड़ताल की वजह से मुसाफिर परेशान जरूर नजर आए.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्री-पेड ऑटो टैक्सी सेवा हड़ताल की वजह से पूरी तरह बंद रही. देश की राजधानी में कदम रखते ही मुसाफिरों को मालूम चला कि आज टैक्सी-ऑटो यूनियन की हड़ताल है. लिहाजा लोग ऑटो की तलाश में इधर-उधर सामान लेकर भटकते दिखाई दिए.
एप बेस्ड कैब सर्विस को जबरन रोका
कुछ ऑटो चालकों ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दादागिरी शुरू कर दी. दरअसल ऑटो टैक्सी नहीं मिलने से परेशान मुसाफिरों ने एप बेस्ड ओला या उबर कैब बुक करना शुरू कर दिया. ऐसे में जो भी कैब्स अपनी सवारी लेने स्टेशन पहुंचते, ऑटो टैक्सी चालक उन्हें रोक कर धमकाने लगते.
ऑटो चालकों की दादागिरी की हद देखिए कि ड्यूटी पर आई इन कैब्स को ऑटो-टैक्सी ड्राइवर ने सिर्फ धमकाया या भगाया नहीं, बल्कि सवारी होने के बावजूद कैब्स के टायर पंक्चर कर दिए. एक कैब चालक ने बताया कि उनके कई साथियों की गाड़ियों को इसी तरह रोक कर पंक्चर कर चुके हैं. इसीलिए कुछ कैब्स बुकिंग मिलने के बाद भी स्टेशन के अंदर नहीं आ रही है.
टायर पंक्चर किया और शीशा-वाइपर तोड़े
ऑटो-टैक्सी चालकों की दादागिरी सिर्फ ओला उबर कैब्स पर नहीं, बल्कि हड़ताल के बावजूद ऑटो चलाने वाले चालकों पर भी नजर आई. स्टेशन पर सवारी छोड़ने पहुंचे एक ऑटो को हड़ताल नहीं करने के वजह से हड़ताली चालकों ने न सिर्फ डराया-धमकाया बल्कि ऑटो का शीशा और वाइपर भी तोड़ दिया.
भटकने पर मजबूर थे मुसाफिर
वहीं देश की राजधानी में कदम करने वाले मुसाफिरों की दिक्कतें और बढ़ गई. एक तरफ ऑटो-टैक्सी की हड़ताल , दूसरी तरफ हड़ताली चालकों की दादागिरी की वजह से ओला-उबर नहीं मिल पाने से मुसाफिर परेशान दिखे. लोगों को अपना सामान लाद कर स्टेशन से मेन रोड तक कैब्स की तलाश में भटकना पड़ा. कुछ लोग रिक्शे और ई-रिक्शे का सहारा लेकर स्टेशन से बाहर निकले.
मुसाफिरों ने बताया कि हड़ताल का फायदा उठाकर कुछ प्राइवेट टैक्सी और कैब मनमाना पैसा भी वसूल रहे हैं. स्टेशन पर ऑटो-टैक्सी चालकों की दादागिरी रोकने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं दिखे.
ऑटो-टैक्सी चालकों के मुताबिक ये कोई राजनीतिक हड़ताल नहीं है. ओला-उबर की वजह से ऑटो-टैक्सी चालकों का रोजगार छीन रहा है. जब तक सरकार इन एप बेस्ड कंपिनयों को बंद नहीं करती, तब तक ऑटो-चालक हड़ताल जारी रखेंगे.