दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. कारण, केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने दोनों के खिलाफ मामलों की जांच के लिए अपनी अनुमति दे दी है. यह अनुमति भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत दी गई है और इसकी जानकारी उपराज्यपाल (LG) सचिवालय को भेजी गई है.
जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग (Vigilance Department) ने पहले दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय के माध्यम से गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी थी. इस अनुरोध पर विचार करते हुए मंत्रालय ने अब जांच की अनुमति प्रदान कर दी है.
बता दें कि मनीष सिसोदिया दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे हैं. आबकारी नीति मामले में वह जेल भी गए थे. जबकि सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच का सामना कर रहे हैं. अब गृह मंत्रालय की इस मंजूरी के बाद दोनों मामलों में जांच की प्रक्रिया तेज होने की संभावना है. दोनों नेता जमानत पर बाहर हैं.
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने कथित शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने शराब नीति 2021-22 को लागू करने में अनियमितताएं कीं और भ्रष्टाचार किया. सीबीआई और ईडी का आरोप है कि सिसोदिया ने शराब नीति को कुछ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन किया था. आरोप लगे कि शराब कारोबारियों से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई, जिसका इस्तेमाल गोवा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए हुआ. इस मामले में सिसोदिया जेल गए थे.
दिल्ली सरकार में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 30 मई 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अरेस्ट किया गया था. सत्येंद्र जैन आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता और दिल्ली सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री थे. ईडी ने सत्येंद्र जैन पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2015-2016 में फर्जी कंपनियों के जरिए 16.39 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की थी. गिरफ्तारी के बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था.
AAP ने बीजेपी पर साधा निशाना
जांच के लिए गृह मंत्रालय की मंजूरी के संबंध में AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा को दिल्ली की जनता से किए गए अपने वादों को पूरा करने में कोई दिलचस्पी या इरादा नहीं है. उनका एकमात्र एजेंडा दिल्ली के लोगों को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को फंसाकर लोगों की आवाज दबाने में लगाना है. हर नौकरशाही स्तर पर, हर कार्यालय जानबूझकर खबर लीक करता है जैसे कि कोई नया मामला दर्ज किया गया हो.
उन्होंने कहा कि फाइल उपराज्यपाल के पास पहुंचती है, फिर एलजी की मंजूरी, फिर गृह मंत्रालय की मंजूरी, फिर राष्ट्रपति की मंजूरी. यह एक सामान्य प्रक्रिया के अलावा और कुछ नहीं है. जब भाजपा शासित केंद्र सरकार ने पहले ही हर राजनीतिक विरोधी पर मुकदमा चलाने का फैसला कर लिया है, तो यह स्पष्ट है कि वह मामले को आगे बढ़ाने के लिए हर मंजूरी और अनुमति देगी. उन्हें न्यायिक प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार करना चाहिए.