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CAA प्रदर्शन: शाहीन बाग में दिखा अनोखा नजारा, बच्चों के लिए बनी आर्ट गैलरी

दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र इश्तियाक ने बताया कि बच्चों के लिए बनाई गई इस जगह को कोई लाइब्रेरी कह रहा है तो किसी ने इसे किड सेक्शन नाम दिया है. इसके अलावा कुछ लोग इसे आर्ट गैलरी भी कह रहे हैं. जहां सीएए-एनआरसी के खिलाफ जारी प्रदर्शन में शामिल महिलाओं के साथ आए छोटे बच्चे नारेबाजी ना करके अपना वक्त कुछ नया सीखने में लगा रहे हैं.

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पेंटिंग और पोस्टर बना रहे बच्चे
पेंटिंग और पोस्टर बना रहे बच्चे

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  • CAA-NRC के खिलाफ शाहीन बाग में 24 घंटे प्रदर्शन जारी
  • सड़कों पर डटीं महिलाएं, बच्चे बना रहे पेंटिंग्स और पोस्टर

Shaheen Bagh Protest: देश की राजधानी दिल्ली का शाहीन बाग इलाका नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ करीब एक महीने से जारी प्रदर्शन के लिए देशभर में चर्चा में है. शाहीन बाग में एकता, हिम्मत और हौसले के साथ 24 घंटे जारी प्रदर्शन में अनोखा नजारा देखने को मिल रहा है. एक महीने की बच्ची को गोद में लिए बैठी महिला से लेकर 90 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं तक जज्बे के साथ प्रदर्शन में डटी हैं तो वहीं छोटे बच्चों के लिए रीड फॉर रिवॉल्यूशन नाम से एक लाइब्रेरी जैसी जगह तैयार की गई है, जहां छोटे बच्चे पेंटिंग करते हैं और पोस्टर बनाते हैं.

दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के छात्र इश्तियाक ने aajtak.in से खास बातचीत में बताया कि बच्चों के लिए बनाई गई इस जगह को कोई लाइब्रेरी कह रहा है तो किसी ने इसे किड सेक्शन नाम दिया है. इसके अलावा कुछ लोग इसे आर्ट गैलरी भी कह रहे हैं. जहां सीएए-एनआरसी के खिलाफ जारी प्रदर्शन में शामिल महिलाओं के साथ आए छोटे बच्चे नारेबाजी ना करके अपना वक्त कुछ नया सीखने में लगा रहे हैं.

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पढ़ें- शाहीन बाग में सर्द मौसम की स्याह रात...CAA के विरोध का बिगुल और चट्टानी जज्बात

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जामिया की ही पीएचडी की छात्रा ने कहा कि यूनिवर्सिटी से आए छात्र भी यहां बैठकर अपनी पढ़ाई कर सकते हैं, जिससे प्रदर्शन के साथ-साथ पढ़ाई पर ज्यादा असर ना पड़े. उन्होंने कहा कि रीड फॉर रिवॉल्यूशन के जरिए जागरुकता बढ़ेगी क्योंकि जब तक किसी को अपने राइट्स और अधिकारों के बारे में पता ना हो, तब तक वो अपने हक के लिए आवाज नहीं उठा सकता. उन्होंने बताया कि बच्चे जो पेंटिंग बनाते हैं उन पेंटिंग्स और पोस्टरों को प्रदर्शनस्थल पर लगाया जा रहा है. कुछ पेंटिंग्स और पोस्टर में प्रदर्शन में शामिल महिलाओं के संघर्ष को भी दिखाया गया है.

women-strength_011120031946.jfifबच्चों ने बनाए पोस्टर

वहीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (JMI) के छात्र ओसामा ने कहा कि अपनी मां-बहनों के साथ प्रदर्शन में ऐसे बच्चे शामिल हैं, जिन्हें सीएए और एनआरसी का मतलब नहीं पता. ऐसे में उन बच्चों को नारेबाजी का हिस्सा बनाने से बेहतर है कि उन्हें देश की एकता, देश के संविधान और देश की पहचान के बारे में बताया और समझाया जाए. रीड फॉर रिवॉल्यूशन के जरिए बच्चों में जागरुकता बढ़ेगी. साथ ही सीएए और एनआरसी के खिलाफ जारी धरना प्रदर्शन में बच्चों की मां और बहन बेफिक्र होकर अपनी पूरी भागीदारी दे सकेंगी.

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पढ़ें- शाहीन बाग: CAA विरोध में पीछे छूटी पहचान, भारत माता और इंसानियत रखा नाम

ओसामा ने बताया कि बच्चों की जागरुकता के लिए देश की आजादी, देश के वीर सपूतों के किस्से और कहानियां भी सुनाई जा रही हैं. इसके अलावा देशभर की समस्याओं और मुद्दों के बारे में भी बच्चों को बताया जा रहा है. देश-दुनिया में क्या हो रहा है इसको लेकर जागरूक करने के लिए थीम दिया जाता है. जिसपर बच्चे अपनी समझ के मुताबिक क्रिएविटी दिखाते हुए पोस्टर और पेंटिंग बना रहे हैं, जैसे हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के जंगल में लगी आग के बारे में बच्चों को बताया गया. इसके बाद उन्होंने शाहीन बाग स्टेंड फॉर ऑस्ट्रेलिया लिखते हुए पोस्टर बनाए. एकता का पाठ पढ़ने-पढ़ाने के अलावा धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करने की सलाह के साथ हिंदुस्तानी होने का जज्बा जगाया जा रहा है.

painting_011120031713.jfifफोटो- सना जैदी

बता दें कि शाहीन बाग में बीते 15 दिसंबर से सीएए के खिलाफ धरना प्रदर्शन जारी है. जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की भागेदारी है. महिलाओं ने आवाज बुलंद कर रखी है कि जब तक सीएए वापस नहीं होगा तब तक सड़क से नहीं उठेंगे. शाहीन बाग में सड़कों और दीवारों पर नारों के साथ सीएए के विरोध को दर्शाया गया है. इसके अलावा शाहीन बाग बस स्टैंड के पास इंडिया गेट का एक मॉडल भी बनाया गया है.

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india_011120032435.jpgशाहीन बाग में सड़क पर बना इंडिया गेट का मॉडल

इस विरोध प्रदर्शन में सरकार के खिलाफ नारेबाजी, भाषण के साथ देशभक्ति गीत और नुक्कड़ नाटक के जरिए अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.

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