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गौतम गंभीर बोले- सुप्रीम कोर्ट की भी सुनने को तैयार नहीं शाहीन बाग, कैसे होगी बातचीत?

सुप्रीम कोर्ट ने भी बातचीत के लिए वार्ताकार भेजे हैं लेकिन कोई उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में उन्हें सोचना होगा कि हमेशा तो आंदोलन नहीं चल सकता. आप बातचीत के लिए अपनी किसी टीम को भी नहीं भेज रहे कोई बात करने आ रहा तो आप उनकी सुनना भी नहीं चाहते, कहीं तो समझदारी दिखानी ही होगी.

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गौतम गंभीर, बीजेपी सांसद
गौतम गंभीर, बीजेपी सांसद

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  • आजादी या गोली मारो- किसी भी बयान का समर्थन नहीं
  • देश को यहां तक पहुंचाने में सभी धर्म के लोगों का योगदान

शाहीन बाग में पिछले 60 दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है. हालांकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि CAA किसी भी हालत में वापस नहीं लिया जाएगा. ऐसे में शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन की वजह से नोएडा से फरीदाबाद जाने वाले रास्ते पर आवाजाही बंद है और आम लोगों को हर रोज परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

अब सवाल उठता है कि इन प्रदर्शकारियों को कैसे उठाया जाए? क्योंकि सरकार की तरफ से अब तक वहां जाकर बातचीत की कोई पहल नहीं की गई है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए वार्ताकार नियुक्त किया. लेकिन अब तक रास्ता खुलवाने को लेकर सहमति नहीं बनी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार या किसी सांसद की तरफ से शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर रास्ता खुलवाने की पहल की गई?

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आजतक से बातचीत के दौरान पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने इस सवाल के जवाब में कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदर्शनकारियों से कहा है कि वो चाहें तो उनसे बात कर सकते हैं वो तीन दिन में उन्हें बातचीत के लिए समय तय कर देंगे. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी बातचीत के लिए वार्ताकार भेजे हैं लेकिन कोई उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में उन्हें सोचना होगा कि हमेशा तो आंदोलन नहीं चल सकता. आप बातचीत के लिए अपनी किसी टीम को भी नहीं भेज रहे, कोई बात करने आ रहा तो आप उनकी सुनना भी नहीं चाहते, कहीं तो समझदारी दिखानी ही होगी.'

वहीं जब आजतक की तरफ से उनसे सवाल किया गया कि प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि सरकार का कोई प्रतिनिधि शाहीन बाग आकर उनसे बात कर ले. लेकिन प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि वो नागरिकता कानून वापस नहीं लेंगे तो फिर जिम्मेदार किसे माना जाए?

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इसके जवाब में बीजेपी सांसद ने कहा, 'गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के अंदर भी और बाहर भी इस बात को स्पष्ट किया है कि नागरिकता कानून किसी की नागरिकता खत्म करने के लिए नहीं है, इससे नागरिकता दी जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी भी कई मंचों से इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं, मीडिया भी पिछले तीन महीने से यह बता रही है. लेकिन अगर तब भी कोई दिक्कत है तो अपनी एक टीम को बातचीत के लिए भेजिए ना. लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हैं. सभी प्रदर्शनकारी पीएम से बात करना चाहती हैं. ऐसे कैसे बातचीत होगी?'

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आजतक के एंकर रोहित सरदाना ने गौतम गंभीर से सवाल किया कि दिल्ली की जनता ने बीजेपी के सात सांसदों को चुना लेकिन किसी एक को भी नहीं लगा कि उनकी तरफ से बातचीत की पहल होनी चाहिए?

इसके जवाब में बीजेपी सांसद ने कहा, 'जिम्मेदारी सबकी है. उनकी भी जो वहां प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि वो क्या चाहते हैं? ऐसा नहीं है कि हम प्रदर्शन खत्म नहीं करना चाहते. लेकिन वो अगर सुनना ही नहीं चाहते तो फिर क्या किया जाए? CAA से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी और जहां तक बात रही NRC की तो पीएम मोदी स्पष्ट कर चुके हैं कि उसपर अभी तक कोई चर्चा ही शुरू नहीं हुई है. ऐसे में उनलोगों से क्या बात करें जो सुनना ही नहीं चाहते हैं. वो सुप्रीम कोर्ट की भी बात नहीं सुन रहे हैं अब क्या करें?' उनसे सवाल किया गया कि दिल्ली चुनाव के दौरान बीजेपी सांसदों और नेताओं की तरफ से जिस तरीके के बयान दिए गए क्या उसकी वजह से और ज्यादा बात बिगड़ी?

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इसके जवाब में गौतम गंभीर ने कहा, "एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं 'आजादी' या 'देश के गद्दारों' वाले किसी भी बयान का समर्थन नहीं करता हूं. आपको किनसे आजादी चाहिए, अपने लोगों से? या आप किसे गोली मारने की बात कह रहे हैं.. अपने ही लोगों को गोली मारेंगे? एक तरफ आजादी और एक तरफ गोली मारो दोनों नारे मेरी सोच के खिलाफ है. मैं इसका कतई समर्थन नहीं करूंगा. आप मुझसे देशहित के बारे में बात करेंगे तो मैं उसपर बात करूंगा. आज देश जहां भी पहुंचा है उसमें सभी धर्म के लोगों का योगदान है."

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गौतम गंभीर से फिर सवाल पूछा गया कि आप जो कह रहे हैं वो अच्छा है लेकिन आपकी पार्टी की तरफ से इस तरह की बयानबाजी करने वालों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया, ऐसा क्यों?

इसके जवाब में पूर्वी दिल्ली सांसद ने कहा, 'चुनाव आयोग ने उनपर प्रतिबंध लगाया. इतना ही नहीं दिल्ली चुनाव के परिणाम देख लीजिए. दिल्ली की जनता ने इस तरह के नारों को खारिज कर दिया. तभी हम आठ सीटों पर रह गए. अगर जनता ने इस तरह के बयानबाजी का समर्थन किया होता तो आज हमारे 62 विधायक चुने जाते. गृह मंत्री ने भी माना कि इस तरह की बयानबाजी की वजह से दिल्ली में हार हुई.'

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