देश की राजधानी दिल्ली का शाहीन बाग (Shaheen Bagh) इलाका नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के खिलाफ जंग का अखाड़ा बन चुका है. शाहीन बाग इलाके में सीएए के खिलाफ 15 दिसंबर से जारी विरोध प्रदर्शन में दंबग दादियों ने महिलाओं की आवाज बुलंद की है.
बिहार की असमा खातून बनीं शाहीन बाग की दबंग दादी
प्रदर्शन में शामिल सबसे उम्रदराज महिला असमा खातून (Asma Khatoon) को इस बात का जरा भी अहसास नहीं था कि वो शाहीन बाग आकर दबंग दादी के नाम से मशहूर हो जाएंगी. दरअसल, दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ जारी प्रदर्शन में शामिल सबसे बुजुर्ग महिला असमा खातून 90 साल की हैं, जो बिहार की रहने वाली हैं. असमा खातून ने aajtak.in से खास बातचीत में बताया कि वो बिहार के सीतामढ़ी जिले के रायपुर इलाके की रहने वाली हैं. उनके शौहर (पति) हाजी मौलाना अब्दुल हसन अब इस दुनिया में नहीं हैं. करीब 7-8 साल पहले उनका इंतकाल हो चुका है.
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पोती को देखने के लिए आईं थी दिल्ली
असमा खातून ने बताया कि दिसंबर में वो अपनी नवजात पोती को देखने के लिए दिल्ली आई थीं. इस दौरान जब जामिया इलाके में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुआ तो वो भी देखने आईं और फिर 24 घंटे जारी धरने में शामिल होने का फैसला किया. असमा खातून ने बताया कि उनके 4 बेटे और 4 बेटियां यानी कुल आठ बच्चे हैं. जिसमें से दो बेटे दिल्ली में रहते हैं, जबकि दो बिहार में रहते हैं. उनसे जब पोती-पोतों के बारे में पूछा गया तो असमा खातून ने कहा कि वो गिनकर संख्या नहीं बता सकती. उन्होंने कहा, मेरी तो उम्र गुजर गई है, अपनी नई नस्लों को देश से संविधान के खिलाफ बने कानून के कठघरे में नहीं फंसने देना चाहती. सरकार को धर्म के आधार पर बना कानून वापस लेना चाहिए.
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प्रदर्शनस्थल ही बन गया घर, धरने में गुजरता है वक्त
असमा खातून ने बताया कि फरवरी के पहले हफ्ते में वो अपनी पोती की शादी में बिहार गई थीं. इस दौरान भी उन्होंने बिहार में सीएए के खिलाफ शाहीन बाग की तर्ज पर शुरू हुए प्रदर्शन में अपना वक्त गुजारा और कुल 6 दिन में ही बिहार से वापस आकर दिल्ली के प्रदर्शनस्थल पर डट गई हैं. असमा खातून से जब पूछा गया कि क्या प्रदर्शनस्थल पर उनके बेटे खाने-पीने का ख्याल रखते हैं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यहां खाने-पीने की कोई कमी नहीं है. घर की तरह सभी चीजों की व्यवस्था है. हमें यहां किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हैं. असमा खातून का कहना है कि जब तक सरकार नागरिकता संशोधन कानून वापस नहीं लेगी मैं इसी तरह 24 घंटे सड़क पर जारी प्रदर्शन में डटी रहूंगी. असमा खातून ने दावा किया कि वो अपनी 9 पुश्तों के नाम गिनवा सकती हैं लेकिन कागज नहीं दिखाएंगी.
दबंग दादी बिलकीस और असमा खातून
शाहीन बाग प्रदर्शन में शामिल हैं कई बुजुर्ग महिलाएं
दिल्ली का शाहीन बाग इलाका नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ कड़े तेवर के साथ देश भर में अलग पहचान लेकर उभरा है. इस विरोध प्रदर्शन में कई बुजुर्ग महिलाएं शामिल हैं. 82 साल की बुजुर्ग बिलकीस के उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली हैं. उनके पति महमूद जो खेती/मजदूरी करते थे, करीब 11 साल पहले दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. पति के गुजर जाने के बाद बिलकीस करीब 8 साल से दिल्ली में अपने बहू-बेटों के साथ रहती हैं. उनके 4 बेटे और एक बेटी है. दूसरी दादी के नाम से मशहूर बिलकीस का कहा है कि सीएए ऐसा कानून है जिसमें नागरिकता साबित करने के लिए कागज दिखाने पड़ेंगे लेकिन देश में तमाम ऐसे लोग हैं, जिनके पास कोई कागज नहीं है. सरकार देश को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है. हम भारत के रहने वाले हैं, यहीं पैदा हुए हैं और यहीं मरेंगे.
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बता दें कि शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर चल रहे प्रदर्शन को खत्म करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से वार्ताकारों के एक पैनल का गठन किया है. जिसमें वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, वकील साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह को शामिल किया गया है. ये वार्ताकार सभी प्रदर्शनकारियों से बातचीत करेंगे और जिस सड़क पर प्रदर्शनकारी बैठे हैं, उसको खुलवाने की कोशिश करेंगे.