दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह शरजील इमाम की जमानत याचिका का निस्तारण अगले महीने तक कर दें. शरजील इमाम को वर्ष 2020 के सांप्रदायिक दंगा मामले में गिरफ्तार किया गया था. उन पर राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है.
'10 दिन के भीतर फैसला किया जाए'
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ को इमाम के वकील ने बताया कि उसकी याचिका निचली अदालत में फरवरी में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. पीठ ने कहा, 'हम निचली अदालत को निर्देश देते हैं कि आवेदन पर अगली सुनवाई के 10 दिन के भीतर फैसला किया जाए और सुनाया जाए.' मामला निचली अदालत में सात फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.
इमाम के वकील ने जमानत के लिए रखा ये तर्क
इमाम ने सीआरपीसी की धारा 436ए के तहत इस आधार पर जमानत मांगी है कि वह पिछले चार वर्षों से हिरासत में है और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत दोषी ठहराये जाने पर अपराध के लिए अधिकतम सजा सात साल है. आरोपी ने कहा कि वह अपराध के लिए दिए गए अधिकतम सजा में से आधी सजा काट चुका है और जमानत का हकदार है.
जनवरी 2022 में दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली के जामिया क्षेत्र में उनके द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के संबंध में शरजील इमाम पर देशद्रोह का आरोप लगाने का आदेश दिया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने शरजील इमाम के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह), 153ए, 153बी, 505 और यूएपीए की धारा 13 के तहत आरोप तय करने के आदेश पारित किए थे.
जेएनयू के पूर्व छात्र और शाहीन बाग विरोध के प्रमुख आयोजकों में से एक शरजील इमाम को 2020 में बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था.