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दिल्ली गैंगरेप केसः कोर्ट में हो सकती है पुकार, शीला दीक्षित हाजिर हों

दिल्ली में 16 दिसम्बर को हुए सामूहिक बलात्कार मामले के एक आरोपी ने विशेष अदालत से दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बचाव पक्ष का गवाह बनाने की मांग की है.

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दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित

दिल्ली में 16 दिसम्बर को हुए सामूहिक बलात्कार मामले के एक आरोपी ने विशेष अदालत से दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बचाव पक्ष का गवाह बनाने की मांग की है.

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अदालत ने जब सभी आरोपियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया खत्म कर ली तो उसके बाद अक्षय ठाकुर ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना के समक्ष बचाव पक्ष के गवाहों की सूची पेश की ताकि वहखुद को निर्दोष साबित कर सके.

अदालत के समक्ष सूची पेश करते हुए अक्षय के वकील ए. पी. सिंह ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री को बचाव पक्ष के गवाह के रूप में बुलाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने पिछले वर्ष दिसम्बर में एसडीएम द्वारा 23 वर्षीय पीड़िता के बयान दर्ज कराने के दौरान दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के हस्तक्षेप की शिकायत की थी.

सिंह ने कहा, ‘हम दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बचाव पक्ष के गवाह के रूप में बुलाना चाहते हैं, ताकि पीड़िता द्वारा गलत एवं नियोजित तरीके से दिलवाए गए बयान को साबित किया जा सके.’ विशेष लोक अभियोजक दया कृष्णन ने अक्षय के आग्रह का विरोध करते हुए कहा कि वकील सुर्खियां पाने के लिए ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि एसडीएम से पहले ही विस्तार से जिरह हो चुकी है. उन्होंने कहा, ‘इतने गवाहों को बुलाने की जरूरत नहीं है. सिर्फ यह साबित करने के लिए कि आरोपी दिल्ली में नहीं था, मेरा मानना है कि परिवार के एक या दो सदस्य काफी हैं. अधिकतर गवाहों की प्रासांगिकता नहीं हैं और मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है.’

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बहरहाल अदालत ने कल के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया. सूत्रों ने बताया कि दिसम्बर में लड़की का बयान दर्ज किए जाने के तुरंत बाद एसडीएम उषा चतुर्वेदी ने दावा किया था कि पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग कराए जाने से तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मना किया था. उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि अधिकारी चाहते थे कि एसडीएम उनके प्रश्नों का प्रयोग करें. बाद में दीक्षित ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को कथित पुलिस हस्तक्षेप को लेकर पत्र लिखा था.

आरोपों से इंकार करते हुए पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने कहा था कि पुलिस ने एसडीएम पर कभी भी प्रश्नों को लेकर दबाव नहीं बनाया. मुख्यमंत्री के अलावा अक्षय ने मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ. नरेश त्रेहन एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों को बचाव पक्ष के गवाह के रूप में बुलाने का भी आग्रह किया है ताकि दर्शाया जा सके कि वह 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में नहीं था जिस दिन लड़की के साथ चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था.

अक्षय ने कहा कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि डॉ. नरेश त्रेहन किस अधिकार से सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता को देखने गए. अभियोजन के मुताबिक बस में छह लोगों में चालक राम सिंह, विनय शर्मा, अक्षय, पवन गुप्ता, मुकेश और एक किशोर थे और सभी ने लड़की से बलात्कार किया. पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पिछले वर्ष 29 दिसम्बर को मौत हो गई थी. राम सिंह 11 मार्च को तिहाड़ जेल में मृत पाया गया और उसके खिलाफ अदालती कार्यवाही रोक दी गई. छठा आरोपी किशोर है और उसके खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई चल रही है.

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