दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ सरकारी धन का दुरुपयोग मामले में आम आदमी पार्टी (आप) की पूर्व सरकार द्वारा दायर याचिका पर बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया.
पार्टी ने यह याचिका सरकारी धन का इस्तेमाल करने के मामले में शीला के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को वापस लेने के लिए दायर की थी.
न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने 'आप' सरकार की याचिका के खिलाफ शाली के आवेदन पर भी फैसला सुरक्षित रखा है. न्यायालय ने कहा कि यह बुधवार शाम चार बजे अपना फैसला सुनाएगी.
शीला ने अरविंद केजरीवाल सरकार के कदम पर सवाल उठाते हुए मामले में उन्हें भी पक्ष रखे जाने देने की मांग की है. केजरीवाल ने उस याचिका को वापस लेने की मांग की थी, जो उनके पूर्व की सरकार ने दायर की थी.
शीला सरकार ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश को खारिज करने के लिए पिछले साल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने पर रोक लगा दी थी.
केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से कुछ घंटे पहले उच्च न्यायालय गए थे और कहा था कि मंत्रिमंडल ने यह फैसला किया है कि शीला को बचाने का अधिकार उनके पास नहीं है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता विजेंदर गुप्ता और सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने शीला पर 2008 के चुनाव प्रचार में 22.56 करोड़ रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था, जिसके बाद विशेष अदालत ने 31 अगस्त को शीला के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिल्ली पुलिस को दिया था.