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सरकारी खर्चे पर घर-घर अपना रिपोर्ट कार्ड भेज रही हैं शीला दीक्षित

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इन दिनों राजधानी के घर-घर में पहुंचने की हड़बड़ी में हैं. अब चुनावों में खुद तो हर घर तक जा नहीं सकतीं तो जरिया चुना है सरकारी खर्च पर छपवाई गई अपनी रिपोर्ट कार्ड का. तकरीबन डेढ़ लाख रिपोर्ट कार्ड्स को सरकारी खर्चे पर ही मुख्यमंत्री कार्यालय लोगों तक पहुंचा रहा है.

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शीला दीक्षित
शीला दीक्षित

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इन दिनों राजधानी के घर-घर में पहुंचने की हड़बड़ी में हैं. अब चुनावों में खुद तो हर घर तक जा नहीं सकतीं तो जरिया चुना है सरकारी खर्च पर छपवाई गई अपनी रिपोर्ट कार्ड का. तकरीबन डेढ़ लाख रिपोर्ट कार्ड्स को सरकारी खर्चे पर ही मुख्यमंत्री कार्यालय लोगों तक पहुंचा रहा है.

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शीला की सरकारी रिपोर्ट कार्ड में उनकी चमकती तस्वीर पेश की गई है. कुछ दिनों में मुख्यमंत्री कार्यालय के नाम वाले लिफाफे में ऐसे दो रिपोर्ट कार्ड आपके घर भी पहुंचे तो चौंकिएगा नहीं. क्योंकि हर रिपोर्ट कार्ड की कॉपी सैकड़ों में नहीं बल्कि लाखों की तादाद में छपवाई गई है. मकसद साफ है कि शीला दीक्षित अपनी सरकार का बखान घर-घर तक पहुंचा पाएं.

इस पर दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित का कहना है कि हम अपने 15 साल के कामकाज को लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं और ये हमारा अधिकार है.

अब मुख्यमंत्री बेशक अपने काम को लोगों को किताब के जरिए पहुंचाने को जायज ठहरा रहीं हों, लेकिन इस चमचमाती किताब पर हुए खर्च का हिसाब सरकार की फिजूलखर्ची को देखकर शायद ही कोई जायज ठहराए. सरकारी सूत्रों की ही मानें तो ऐसी तकरीबन डेढ़ लाख रिपोर्ट कार्ड छपवाई गई हैं. अगर दोनों रिपोर्ट कार्ड को छपवाने में औसतन 50 रुपये भी खर्च आता है तो इस हिसाब से डेढ़ लाख का खर्च करीब 75 लाख रुपये हुआ. स्पीड पोस्ट के जरिए उनको भेजने का खर्च अगर 25 रुपये आता है तो खर्च बैठा 37 लाख रुपये. यानी सब मिलाकर खर्च 1 करोड़ से ऊपर जाएगा. बीजेपी इस खर्च के बहाने सरकार पर निशाना साध रही है.

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दिल्‍ली बीजेपी की प्रवक्‍ता संबित पात्रा कहती हैं, ये पैसे की बरबादी है. 2008 में भी इन्होंने जनता के पैसे की बर्बादी की थी. अब सरकारी खजाना लुटाकर शीला दीक्षित वाहवाही बटोरना चाहती हैं, ताकि उनका वोट बैंक भर सके. मगर ये 15 साल की रिपोर्ट कार्ड सरकारी है असली रिपोर्ट कार्ड तो पब्लिक को चुनावों में वोट के जरिए ही देना है.

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