विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजधानी में मानों उद्धाटनों की बाढ़ सी आ गई है. सीएम शीला दीक्षित ने वोटरों के लिए जाल बिछाना शुरू कर दिया है. ये जाल है चुनावी वायदों और घोषणाओं का. हालत य़े है कि पिछले एक हफ्ते में शीला लगभग 30 से ज्यादा प्रोजेक्ट का फीता काट चुकी है.
कहीं सड़क का उद्धाटन तो कहीं नौकरी का वायदा और कहीं झुग्गी वालों को फ्लैट देने का ऐलान. एक दिन में कम से कम आधा दर्जन उद्घाटन हो रहे हैं. हाल यह है कि 2004 में उद्धाटन किए गए सिग्नेचर ब्रिज पर शीला दीक्षित ने नौ साल बाद एक बार फिर नारियल फोड़ा है.
ऐसा लगता है कि पिछले 5 सालों में दिल्ली सरकार जो नहीं कर पाई वो महज कुछ दिनों में कर देना चाहती है. नतीजा ये है कि सीएम शीला दीक्षित रोज़ाना 6-7 कार्यक्रमों का फीता काटने में व्यस्त हैं. दरअसल किसी भी समय दिल्ली चुनावों की अधिसूचना जारी हो सकती है. ऐसे में आचार संहिता लागू होने से पहले दिल्ली सरकार हरेक को कुछ ना कुछ देना चाहती है.
डीटीसी कर्मचारियों को पक्की नौकरी से लेकर, गोविंदपुरी के झुग्गीवासियों को फ्लैट देने तक. नरेला में वीमेन कॉलेज से लेकर मोनो रेल पहुंचाने तक. ठोस निर्णय भले ही ना हो कम से कम वायदा ही सही. लेकिन लोग भी अब तैश में हैं. उन्हें वायदा नहीं गारंटी चाहिए. लिहाजा कई कार्यक्रमों में शीला दीक्षित को लोगों के गुस्से का सामना भी कर पड़ा.
जाहिर है विपक्ष को भी सरकार की घोषणाओं में सिर्फ जनता के साथ धोखा दिखाई दे रहा है. आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने शीला पर चुटकी लेते हुए कहा अगर गड्डे खोदने से जीत मिलती है, तो बताओं हम भी गड्डे खोदने को तैयार हैं.
एक कहावत है- अंत भला तो सब भला. इसी फॉर्मूले को लागू करते हुए दिल्ली सरकार लोगों के लिए चांद-तारे तक तोड़ लाने को बेताब है. लेकिन ये पब्लिक है, ये सब जानती है.