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1984 दंगा: फैसला में लगे 29 साल, सज्‍जन बरी, अब बवाल

कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी करने के खिलाफ सिखों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए सुभाष नगर इलाके में मेट्रो को रोक दिया. सुभाष नगर और तिलक नगर मेट्रो स्‍टेशन को बंद कर दिया गया है.

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सज्‍जन कुमार
सज्‍जन कुमार

साल 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के बरी होने पर बवाल मच गया है. कोर्ट के फैसले के खिलाफ सिख पूरी दिल्‍ली में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

सिखों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए राजधानी दिल्‍ली के सुभाष नगर इलाके में मेट्रो को रोक दिया. हंगामे के चलते रूट नंबर-3 और 4 पर थोड़ी देर के लिए मेट्रो सेवा ठप हो गई थी. फिलहाल, सेवा बहाल कर दी गई है, लेकिन सुभाष नगर और तिलक नगर स्टेशन बंद हैं. प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ भी झड़प हो गई.

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तिलक नगर में चक्‍का जाम कर दिया गया है और सिख जमकर नारेबाजी कर रहे हैं. सिखों का कहना है कि सज्जन कुमार के खिलाफ सबूत होने पर भी उनको बरी किया गया.

मंगलवार को सज्‍जन कुमार को बरी किए जाने का फैसला जैसे ही आया सिखों का गुस्‍सा फूट पड़ा. कोर्ट परिसर में ही दंगा पीड़‍ितों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया था. वहीं '84 के दंगे में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किए जाने पर कांग्रेस समर्थित सरना गुट भी बचाव की मुद्रा में है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के पूर्व प्रधान परमजीत सिंह सरना का कहना है की इस पर एक कमीशन बैठाना चाहिए. उनका कहना है कि इससे पता चल पाएगा कि इस मामले में कमी कहां रही? क्या केस ठीक से लड़ा नहीं गया या फिर न्यायिक प्रक्रिया में किसी तरह की कमी रही?

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दिल्ली गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान का कहना है की कोर्ट ने सज्जन कुमार को सबूतों के अभाव में छोड़ा है. उनके मुताबिक यह जांच का विषय है कि किन कारणों से सज्जन को सजा नहीं हुई. सरना ने कहा कि इस मामले को वह हाई कोर्ट में ले जायेंगे क्योंकि इस फैसले से सिखों की भावना आहात हुई है.

क्‍या है पूरा मामला
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे फैले थे. इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में 5 सिख केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. इस दंगे की भेंट चढ़े केहर सिंह इस मामले की शिकायतकर्ता जगदीश कौर के पति थे, जबकि गुरप्रीत सिंह उनके बेटे थे. इस घटना में मारे गए अन्य सिख दूसरे गवाह जगशेर सिंह के भाई थे.

सीबीआई ने 2005 में जगदीश कौर की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दिल्ली कैंट मामले में सज्जन कुमार, कैप्टन भागमल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

इसके बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ 13 जनवरी 2010 को अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था. इनमें से सज्जन कुमार को कोर्ट ने बरी किया जबकि बाकी पांचों लोगों को दोषी करार दिया गया है.

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