केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर किसानों का प्रदर्शन जारी है. इस प्रदर्शन में युवा भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. एक तरफ सिंधु बॉर्डर पर आपको लाल, पीले, नीले रंग के ट्रैक्टर नजर आ जाएंगे तो दूसरी तरफ रंग-बिरंगी लेटेस्ट बाइक्स भी दिख जाएंगी और यह पहचान है पंजाब के युवा किसानों की. जी हां, जालंधर के परमिंदर और हरजिंदर एक साथ पले-बढ़े, साथ पढ़ाई की और अब साथ खेती-बाड़ी भी करते हैं.
परमिंदर के पास 35 एकड़ तो हरजिंदर के पास करीब 25 एकड़ खेत हैं. एक आठवीं पास है तो एक 12वीं, मगर अपने दादा-परदादा की तरह वे भी पुश्तैनी किसान हैं. अगल-बगल खेत होने के चलते दिनभर की थकान के बाद दोनों साथ में रोटी खाते हैं. हालांकि, ये और बात है कि आजकल ये खेत में ट्रैक्टर चलाने की जगह अपना वक्त खाना पकाने में लगाते हैं.
24 नवंबर को ही दोनों किसान आंदोलन में भाग लेने जालंधर से अपनी लेटेस्ट बाइकों पर सवार हो निकल पड़े थे. जय-वीरू की यह जोड़ी अब सिंधु बॉर्डर पर बाकी किसानों के साथ डेरा डाले हुए हैं.
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आखिर सवाल उठता है कि अच्छी खासी जमीन है, पैसा भी है, महंगी बाइक, ब्रांडेड कपड़े, फिर आज सड़क पर क्यों? इस पर हरजिंदर कहते हैं, "मोदी जी सोचते हैं कि किसान है तो फटे कपड़े पहनेगा, भीख मांगेगा ऐसा नहीं है. हम अपनी मेहनत का खाते हैं और अपने हक के लिए लड़ रहे हैं".
एक बात और इन दोनों में दोस्ती इतनी तगड़ी है कि दोनों ने साथ में एक ही रंग की सुपरबाइक खरीदी और नंबर प्लेट का आखिरी डिजिट करवाया 50 और 51 यानि कि आगे-पीछे का नंबर.
जय-वीरू कहते ही दोनों के चेहरों पर मुस्कान आ जाती है. गांव वाले भी इनको एक-दूसरे की परछाईं मानते हैं. परमिंदर का कहना है "घर वालों से बात करनी होती है तो फोन कर लेते हैं. हम दोनों साथ ही चले थे अब साथ ही वापस जाएंगे. हम गर्मी में तपते हैं, सर्दी में भी. अपनी मेहनत का खाते हैं, अपनी मेहनत से कमाते हैं."
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