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ट्रेड फेयर में छोटे व्यापारियों पर नोटबंदी की मार

36वें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला भी नोटबंदी की वजह से मंदी से गुजर जा रहा है. छुट्टे ना होने की वजह से लोग विंडो शॉपिंग ही कर रहे हैं.

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ट्रेड फेयर पर नोटबंदी की मार
ट्रेड फेयर पर नोटबंदी की मार

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36वें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला भी नोटबंदी की वजह से मंदी से गुजर जा रहा है. ट्रेडर्स परेशान हैं क्योंकि लोगों के पास छुट्टे पैसे नही हैं और पुराने नोट बंद हो चुके हैं.

ऐसे में लोगों को सामान खरीदने में काफी मुश्किलें आ रही हैं. बड़े और मध्यम ट्रेडर्स तो जैसे-तैसे पेटीएम या डेबिट क्रेडिट से भुक्तान कर रहे हैं. लेकिन इस नोटबंदी की सबसे बड़ी मार छोटे कारीगर झेल रहे हैं, जो सालभर मेहनत करके अपने हाथों से सामान बनाते हैं लेकिन आज इस व्यापार मेले में बिना सेल के बैठे हैं.

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दरअसल इन छोटे कारीगरों के पास मशीन से भुक्तान का विकल्प नही हैं और इसीलिए लोग इन सामानों को सिर्फ देख-देख कर लौट जा रहे हैं. जूट बैग बनाने वाले शमशेर ट्रेड फेयर में अपने बैग्स की छोटी सी दुकान खोल के बैठे हैं. वह कहते हैं, आजकल नोटबंदी की वजह से सबके पास 2000 के बड़े नोट हैं इसलिए छुट्टा न होने की वजह से खरीदा हुआ सामान भी वापस करना पड़ता है और तो और इस बार सिर्फ 20 फीसदी सेल हो रही है. बाकी तो सब विंडो शॉपिंग ही करके चले जाते हैं.

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यही हाल बुनकर आलम का भी हैं जो लखनऊ से दिल्ली अपने कारपेट का व्यापार करने आए हैं. लेकिन हाल ये है कि इस बार सेल इतनी कम है कि मजबूरी में पुराने नोट लेने पड़ रहे हैं. इस तरह से हर कारीगर और व्यापारी परेशान हैं.

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