दिल्ली एनसीआर में स्मॉग का कहर इस कदर बढ़ गया है कि लोगों ने अपने घरों से निकलना बंद कर दिया है, वो तभी घर से बाहर निकलते हैं जब बहुत जरूरी होता है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर घर में बंद होने भर से ही क्या इस समस्या का समाधान हो जाएगा?
इस मसले को जड़ से खत्म करने के लिए अब स्कूलों और हाई राइजिंग सोसाइटी के बच्चों ने अब कमान संभाली है. ये बच्चे घर-घर जा कर प्रदूषण से होने वाले नुकसान और इसके समाधान की जानकारी लोगों तक पहुंचा रहे हैं.
गुरुग्राम की एक पॉश सोसाइटी ने 'सिटीजन फॉर क्लीन एयर' नाम के एक अभियान की शुरुआत की है जिसमें मुख्य भूमिका मासूम बच्चों की है. ये समाज के हर तबके में पहुंच कर लोगों को जगरुक करने का काम कर रहे हैं. इस अभियान की संचालिका रुचिका का कहना है कि बच्चों की मासूमियत के चलते लोग रुक कर इनकी बातें सुनते हैं और ये लोगों को कार पूलिंग, ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल और पौधारोपण के मायने समझाते हैं जिसके इफेक्ट्स भले ही तुरंत ना दिखें लेकिन लॉन्ग टर्म पर कारगर साबित होंगे.
दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले यश ने कहा कि मुझे बहुत बुरा लगता है कि मम्मी बाहर खेलने नहीं दे रहीं, स्कूल में भी हम लंच टाइम या फ्री क्लास में प्लेग्राउंड में नहीं जा सकते, हम अब नहीं खेलेंगे तो कब खेलेंगे? प्लीज जल्दी से हवा ठीक कर दो ताकि मैं अपनी साइकिल चला सकू. नन्हे यश के जन्मदिन पर उसके दादा ने उसे एक साइकिल दी है लेकिन वो उसे बाहर नहीं चला पा रहा है.
मायूस बच्चों ने खुद ही हालात को बदलने का जिम्मा उठाया है. हाथों में प्लेकार्ड लिए ये लोगों से अपील कर रहे हैं कि अगर अब नहीं जागे तो आने वाले समय में हम अपने बच्चों को सांस लेने के लिए कैसी हवा देंगे?
गुरुग्राम के डी.पी.एस स्कूल के छात्र भी इस गंभीर समस्या को लेकर ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. 11वी में पढ़ने वाले आयुष के मुताबिक,'रोटी कपड़ा और मकान तो जरूरी है पर अगर साफ हवा नहीं होगी तो साफ पानी ही नहीं मिलेगा तो हम जितने महंगे घर मे रहें क्या फायदा? लॉन्ग टर्म प्लान की जरूरत है. सरकार को सख्ती से लोगों से पेश आना होगा, सड़कों पर गाड़िया कम करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को दुरुस्त करना होगा साथ ही कंस्ट्रक्शन साइट पर नियमों के पालन पर ठोस कदम उठाने होंगे.
कितनी हैरान करने वाली बात है कि जो बातें प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूल के बच्चों को समझ आ गई वो हमें या हमारी सरकार को क्यों नहीं दिखती? प्रदूषण के लिए जिम्मेदार सिर्फ सरकार नहीं इसके लिए दोषी हम भी हैं और सवाल ये है कि क्या हमें इस मुद्दे पर जगने के लिए नीले की जगह काला आसमान चाहिए?