रावण दहन के साथ हवा का प्रदूषण शुरू हो चुका है. दिवाली में पटाखों का धुंआ और तापमान में गिरावट से स्मॉग की टेंशन शुरू हो जाएगी. डॉक्टर्स की माने तो गाड़ियों के धुएं से राजधानी पहले से ही हवा प्रदूषण में अव्वल है ऐसे में पटाखों का धुआं जब हवा में मिलता है तो ठंडे तापमान के साथ स्मॉग बना देता है.
दशहरे के बाद लगातार तापमान गिरता जाएगा और हवा का धुआं स्मॉग में तब्दील होता जाएगा. ऐसे में जिन लोगों को सांस की बीमारी या अस्थमा है वो लोग सावधान रहें क्योंकि स्मॉग उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. स्मॉग में हवा इतनी डेंस हो जाती हैं कि कमजोर फेफड़े वाले लोगों को सांस लेने में बेहद परेशानी होती है और इसी लिए अस्थमा के मरीजों की तबियत बिगड़ सकती है.
डॉक्टर्स की माने तो स्मॉग बच्चों और बुजुर्गों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है. 5 से कम और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कम से कम बाहर निकलना चाहिए और निकलना पड़े भी तो मास्क लगाकर निकलें ताकि स्मॉग के खतरे से बचा जा सके. डॉक्टर्स का यही कहना है कि पटाखे कम से कम जलाएं तभी हवा के प्रदूषण को थोड़ा कंट्रोल किया जा सकता है और स्मॉग के टेंशन से बचा जा सकता है क्योंकि राजधानी में पहले से ही गाड़ियों का धुआं इतना ज्यादा है कि पटाखों के धुएं से स्मॉग की टेंशन दोगुनी हो जाती है.