scorecardresearch
 

अन्ना ने गलती की, मगर साथ नहीं छोड़ सकता :विनायक राव

अन्ना द्वारा किसानों की मांगों को लेकर किए गए अनशन को छह दिन में ही खत्म कर दिए जाने के सवाल पर पाटिल ने कहा, 'अन्ना को राजेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों ने समझाया था कि वे सरकार से वार्ता बंद करें, क्योंकि तानाशाही के बीच सत्याग्रह कोई असर नहीं दिखा पाता. लिहाजा वे अनशन खत्म कर देशव्यापी यात्रा का ऐलान करें, मगर अन्ना नहीं माने.'

Advertisement
X
अन्ना हजारे (फाइल फोटो)
अन्ना हजारे (फाइल फोटो)

Advertisement

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के करीबी विनायक राव पाटिल इन दिनों अन्ना हजारे के दिल्ली में अनशन के हश्र से काफी दुखी हैं. पाटिल ने कहा कि अन्ना हजारे ने अनशन खत्म करने से पहले किसी की नहीं सुनी. अन्ना ने गलती की, मगर एक पिता गलती करे तो उसका साथ नहीं छोड़ सकते.

राजस्थान के अलवर जिले के भीकमपुरा में तरुण भारत संघ के आश्रम में चल रहे तीन दिवसीय चिंतन शिविर में हिस्सा लेने आए पाटिल ने रिपोर्टर से कई विषयों पर खुलकर चर्चा की.

अन्ना द्वारा किसानों की मांगों को लेकर किए गए अनशन को सातवें दिन ही खत्म कर दिए जाने के सवाल पर पाटिल ने कहा, 'अन्ना को राजेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों ने समझाया था कि वे सरकार से वार्ता बंद करें, क्योंकि तानाशाही के बीच सत्याग्रह कोई असर नहीं दिखा पाता. लिहाजा वे अनशन खत्म कर देशव्यापी यात्रा का ऐलान करें, मगर अन्ना नहीं माने.'

Advertisement

इसे भी पढ़ें: अन्ना हजारे के समर्थन में गांववालों का फैसला, सरकारी अधिकारी- पुलिसवाले होंगे गांव से बाहर

पाटिल ने आगे कहा, 'अन्ना मेरे लिए पिता समान हैं, हमारी संस्कृति पिता के कुछ भी गलत करने पर उनका साथ छोड़ने की अनुमति नहीं देती है, लिहाजा मैंने तय किया है कि उनका सम्मान करूंगा और साथ नहीं छोड़ूंगा. उन्हें समझाऊंगा कि क्या गलती हुई और आगे ऐसा न हो, इसका प्रयास करूंगा.'

अन्ना का आंदोलन खत्म कराए जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि अन्ना ने चार पेज का मांगपत्र हाथ से लिखकर भेजा था, जिसे सरकार ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया और अपना नया मांगपत्र बनाकर भेज दिया. उसमें वे मांगें थी ही नहीं, जिनको लेकर यह अनशन था. हां, इतना जरूर लिखा था कि 'सभी मांगें पूरी की जाती हैं.'

महाराष्ट्र के लातूर में रहने वाले पाटिल ने कहा कि अपने घर से मैं बहुत बड़ा बैग लेकर निकला हूं. पाटिल ने कहा, 'अब सिर्फ किसानों के लिए काम करूंगा, घर वापस नहीं जाऊंगा, इलाहाबाद में गंगा के संगम स्थल से एक यात्रा शुरू की जाएगी. इस यात्रा के जरिए लोगों को जगाया जाएगा.'

इसे भी पढ़ें: केंद्र को 6 महीने की मोहलत देकर अन्ना हजारे ने खत्म किया 7 दिनों का अनशन

Advertisement

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा की स्थिति का जिक्र करते हुए पाटिल ने कहा, 'वहां के बुरे हाल हैं, एक साल में दो-दो हजार किसान आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने को मजबूर हैं. इन किसानों को कम पानी वाली खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. दो साल पहले हालात ये थे कि लोग अपने रिश्तेदारों से कहते थे कि अपने साथ पीने का पानी लाना, मगर अब मांजरा नदी की हालत सुधरने से काफी बदलाव आया है, पीने का पानी मिलने लगा है.'

उन्होंने आगे कहा, 'लातूर वह स्थान है, जहां भूकंप आया था. उसके बाद राजनीति से तौबा कर मैंने समाज सेवा का काम शुरू किया. 1993 के बाद से पानी और किसानी के काम में लगा हूं. लोगों को पानी मिले, बारिश के पानी को संजोया जाए, इसके प्रयास जारी हैं. लोगों का साथ भी मिल रहा है. यही कारण है कि लातूर की हालत बदल चली है.'

Advertisement
Advertisement