उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को लेकर कुछ पूर्व जजों ने साझा बयान जारी किया है. साझा बयान जारी करने वालों में अलग-अलग हाई कोर्ट के 4 पूर्व मुख्य न्यायाधीश और 9 हाई कोर्ट जज शामिल हैं.
बयान के मुताबिक, सिविल सोसायटी की नुमाइंदगी का दावा करने वाले कुछ लोग उमर खालिद मामले में न्यायिक प्रक्रिया को पटरी से उतराने का प्रयास कर रहे हैं. ये वही लोग हैं जो संसद, सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग जैसे संस्थानों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ते.
वे ये मान कर चलते हैं कि इन संस्थानों और कार्यपालिका को उनकी मर्जी के मुताबिक चलना चाहिए. ये लोग न्यायिक प्रक्रिया से भली भांति परिचित हैं, फिर भी दिल्ली दंगों के मामले में न्यायिक प्रक्रिया में अड़ंगे डालने की कोशिश कर रहे हैं.
बयान के मुताबिक, उमर खालिद के मामले में सबूतों के आधार पर प्रोसीक्यूशन को अपने आरोप अदालत में साबित करने होंगे. अगर जमानत लेनी है तो उसके लिए तयशुदा प्रक्रिया है. इसके लिए न्यायिक व्यवस्था पर दबाव नहीं डाला जा सकता. उमर खालिद देश की न्यायिक प्रक्रिया में अपवाद नहीं है. हम देश के खिलाफ किए गए अपराध का महिमामंडन करने की कोशिशों की निंदा करते हैं.