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साउथ MCD ने माना- घटिया किस्म की हैं स्ट्रीट लाइट्स, सुधार की है जरूरत

साउथ एमसीडी ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि स्ट्रीट लाइट खराब होने के बारे में कंपनी को मौखिक व लिखित रूप से कई बार शिकायत की गई है. एसडीएमसी ने स्टेटस रिपोर्ट दायर कर बताया कि एनर्जी एफिसियंसी सर्विस लि. (ईईएसएल) और उसकी सहयोगी कंपनियों को इस बारे में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

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साउथ एमसीडी ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने मानी घटिया गुणवत्ता की बात
साउथ एमसीडी ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने मानी घटिया गुणवत्ता की बात

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साउथ एमसीडी ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि स्ट्रीट लाइट खराब होने के बारे में कंपनी को मौखिक व लिखित रूप से कई बार शिकायत की गई है. एसडीएमसी ने स्टेटस रिपोर्ट दायर कर बताया कि एनर्जी एफिसियंसी सर्विस लि. (ईईएसएल) और उसकी सहयोगी कंपनियों को इस बारे में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. एसडीएमसी ने अपनी रिपोर्ट में माना कि कंपनी ने जो लाइटें लगाई उनकी गुणवत्ता सहीं नहीं है.

शिकायत मिलने के 20 दिन बाद तक नहीं टूटती नींद
उनके क्लिप और कई और हिस्से टूटकर गिर रहे है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कंपनियों के हेल्पलाइन नंबर सुबह केवल 9 बजे से शाम 6 बजे तक चलता है. जबकि शिकायत के लिए ज्यादातर कॉल शाम 6 बजे के बाद रात में की जाती हैं. इतना ही नहीं शिकायत मिलने के 20 दिन के भीतर तक कंपनी की तरफ से कोई नहीं जाता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी के साथ सात साल का कॉन्ट्रैक्ट है. इस दौरान रखरखाव का जिम्मा भी उसी का है. मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

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40 फीसदी लाइटें खराब
याचिकाकर्ता के मुताबिक सिंतबर 2015 में एसडीएमसी ने साउथ दिल्ली के वार्ड 156 से 160 में करीब दो लाख एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगवाईं. ये लाइटें पुरानी लगी हाइलोजन लाइटों का हटाकर लगवाई गई थीं. फिलहाल इनमें से करीब 40 फीसदी लाइटें खराब हैं. एसडीएमसी ने ईईएसएल कंपनी को लाइट लगाने व उसके मरम्मत का ठेका दिया है. साउथ दिल्ली के बाद पूरी दिल्ली में ये लाइटें लगाई जानी है.

अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
याचिककर्ता का दावा है कि निगम ने कंपनी को लाइटों की पूरी पेमेंट नहीं की है. इन लाइटों में सस्ती चिप लगाई गई हैं, जो बारिश व नमी आने पर खराब हो जाती हैं. एमसीडी कमिश्नर को इसके बारे में शिकायत की गई लेकिन अभी तक इस तरफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. लाइटें की मरम्मत करने वाले कर्मचारियों की कमी है. ऐसे में कोर्ट जिम्मेदार निगम अधिकारियों, कंपनी पर कार्रवाई करें और इन लाइटों को जल्द दुरुस्त करने का आदेश जारी किया जाए.

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