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दिल्ली: साउथ एमसीडी उपलब्ध कराएगी सस्ती डायलिसिस सुविधा

साउथ एमसीडी ने गरीब तबके के मरीजों के लिए बड़ी घोषणा की है. साउथ एमसीडी स्थायी समिति ने उसके 6 स्वास्थ्य केंद्रों में सस्ती दरों पर डायलिसिस सेवा शुरू करने का प्रस्ताव पास कर दिया है.

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स्थायी समिति की अध्यक्षा शिखा राय
स्थायी समिति की अध्यक्षा शिखा राय

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साउथ एमसीडी ने गरीब तबके के मरीजों के लिए बड़ी घोषणा की है. साउथ एमसीडी स्थायी समिति ने उसके 6 स्वास्थ्य केंद्रों में सस्ती दरों पर डायलिसिस सेवा शुरू करने का प्रस्ताव पास कर दिया है.

स्थायी समिति की अध्यक्षा शिखा राय के मुताबिक, पी.एस.एम.एस. अस्पताल कालकाजी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहपुर बेरी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महरौली, प्राथमिक स्वास्थ्य केेंद्र बिजवासन, पोली क्लिनिक घुम्मनहेड़ा और महाराजा अग्रसेन पोली क्लिनिक उत्तम नगर का सस्ती डायलिसिस सेवा के लिए चयन किया गया है.

शिखा रॉय के मुताबिक, आधुनिक इमेजिंग और डायलसिस जैसी सुविधाएं बहुत मंहगी हो गई है. कम आमदनी वाले मरीज़ और गरीब मरीज इसका खर्च सहन नहीं कर सकते. इसलिए साउथ एमसीडी ने डायलसिस जैसी महंगी सुविधा के लिए एनजीओ और ट्रस्ट को आमंत्रित किया है. ताकि कम दरों पर यह सुविधा प्रदान की जा सके. डायलसिस एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है और दिल्ली में डायलसिस केंद्रों की संख्या सीमित होने के चलते साउथ एमसीडी ने गरीब लोगों के लिए 6 केंद्रों में कम दरों पर ये सुविधा देने का फैसला किया है. इन केंद्रों में दिल्ली में लागू सी.जी.एच.एस. दरों या इससे कम दरों पर डायलसिस कराया जा सकेगा.

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शिखा रॉय के मुताबिक गुर्दे की बीमारी वाले पुराने मरीज को हफ्ते में 2 या 3 बार डायलिसिस कराना होता है. लेकिन सरकारी अस्पतालों में सुविधा और भीड़ के अभाव में ज्यादा मरीजों को सस्ते दर पर इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता है. रॉय के मुताबिक चुने गए संगठन या एन.जी.ओ. इन स्वास्थ्य केंद्रों पर शुरू में 5 साल की अवधि के लिए डायलसिस की सुविधा प्रदान करेंगे. इस अवधि को एन.जी.ओ. या संगठनों द्वारा दी गई सेवाओं की समीक्षा के आधार पर बढ़ाया जा सकेगा.

शिख रॉय ने बताया कि इस काम के लिए चुने जाने वाली संस्था या एनजीओ को स्वास्थ्य क्षेत्र में कम से कम दस 10 का अनुभव होना अनिवार्य होगा. उनके पास ऐसी परियोजनाएं चलाने का कम से कम तीन साल का अनुभव भी अनिवार्य किया जाएगा. साउथ एमसीडी तय शर्तों के अनुसार चुने गए संगठनों को लाइसेंस के आधार पर अपनी इमारत का कुछ हिस्सा इस्तेमाल के लिए देगी.

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