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...इसलिए गैस चैंबर बनी दिल्ली, दिवाली से एक दिन पहले पराली जलाने की 1200 घटनाएं

पिछले सप्ताह का सैटेलाइट डाटा बताता है कि 26 अक्टूबर को भारत और पाकिस्तान में पराली जलाने की घटनाएं अपने अधिकतम स्तर पर पहुंच गई थी. 26 अक्टूबर यानी कि दिवाली से एक दिन पहले पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की 1276 घटनाएं सामने आई है. ये खुलासा इंडिया डुटे डाटा इंटेलिजेंस यूनिट की स्टडी में हुआ है.

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24 अक्टूबर को पटियाला में पराली जलाता एक किसान (फोटो-पीटीआई)
24 अक्टूबर को पटियाला में पराली जलाता एक किसान (फोटो-पीटीआई)

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  • दिवाली से पहले खूब जलाई गई पराली
  • कई जगहों पर 999 पहुंच गया इंडेक्स
  • पंजाब-हरियाणा ने पैदा की मुश्किलें
दिवाली की अगली सुबह राजधानी दिल्ली मानो गैस चैंबर बन गई थी. दिल्ली के कई इलाकों में रविवार की रात को हवा की गुणवत्ता अत्यधिक खराब होकर 999 तक पहुंच गई थी. जबकि शुद्ध हवा की गुणवत्ता मात्र 60 है. रविवार को रात 11 बजे के आसपास आर के पुरम, पटपड़गंज, सत्यवती कॉलेज, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अधिकतम 999 के स्तर पर पहुंच गया था, जो कि हवा की शुद्ध गुणवत्ता से 16 गुणा ज्यादा है. भारत में 999 के पार हवा की गुणवत्ता को रिकॉर्ड करना फिलहाल मुमकिन नहीं है. AQI से हवा में मौजूद PM2.5, PM10, सल्फर डाई ऑक्साइड और अन्य पॉल्यूटेंट पार्टिकल्स के कंसन्ट्रेशन लेवल का पता चलता है.

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं

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दिल्ली सरकार ने राजधानी की खराब होती हवा के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को जिम्मेदार बताया है. इधर पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी लगातार पराली जलाई जा रहा है. इसकी वजह से पंजाब  की हवा दूषित हो रही है.

26 अक्टूबर को पराली जलाने की 1276 घटनाएं

पिछले सप्ताह का सैटेलाइट डाटा बताता है कि 26 अक्टूबर को भारत और पाकिस्तान में पराली जलाने की घटनाएं अपने अधिकतम स्तर पर पहुंच गई थी. 26 अक्टूबर यानी कि दिवाली से एक दिन पहले पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की 1276 घटनाएं सामने आईं है. ये खुलासा इंडिया डुटे डाटा इंटेलिजेंस यूनिट की स्टडी में हुआ है.

अक्टूबर 24 को पराली जलाने की 536 घटनाएं हुईं थी, जबकि 21 अक्टूबर को 412 जगहों पर पराली जलाई गई. पिछले सप्ताह 20 अक्टूबर को सबसे कम जगहों पर यानी कि 100 स्थानों पर पराली जलाई गई.

पढ़ें: हरियाणा, पंजाब में पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण, NASA ने जारी की तस्वीर

सर्दी में पराली जलाना ज्यादा खतरनाक

बता दें कि गेंहू की फसल कटने के बाद खेतों में फसल का जो अवशेष बच जाता है उसे पराली कहते हैं. मध्य सितंबर और अक्टूबर में जब पराली जलाई जाती है तो हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों की वजह से ये और भी खतरनाक बन जाते हैं. इस दौरान हवा की गति कम रहती है, इसलिए पराली के जलने से उठा धुआं वातावरण में ही मौजूद रहता है, और सांस के रूप में लोग इसी हवा को लेते हैं.

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आंकड़ों के मुताबिक 22 अक्टूबर तक उत्तर भारत में 5316 सक्रिय आग के केंद्र थे. यानी कि इन स्थानों पर बड़े पैमाने पर कुछ जलाया गया था. मई के मुकाबले ये मात्र पांचवां हिस्सा है. विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर-अक्टूबर में दिल्ली-एनसीआर में खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि प्रदूषण के जहरीले अवशेष हवा में देर तक बने रहते हैं, जबकि गर्मियों में जहरीले तत्व हवा में तेजी से बिखर जाते हैं, इसलिए प्रदूषण फैलाने वाले तत्व एक स्थान पर मौजूद नहीं रह पाते हैं.

रिपोर्ट: ओरिन बासू, पुल्हा रॉय

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