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सुनंदा पुष्‍कर की मौत मामले में बड़ा खुलासा: 'पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट बदलने का था दबाव'

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्‍नी सुनंदा पुष्‍कर केस में बड़ा खुलासा हुआ है. एम्‍स के फॉरेंसिक विभाग के हेड का आरोप है कि पोस्‍टमॉर्टम को बदलने का दबाव था.

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सुनंदा पुष्‍कर और शशि थरूर की फाइल फोटो
सुनंदा पुष्‍कर और शशि थरूर की फाइल फोटो

पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्‍नी सुनंदा पुष्‍कर की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. एम्‍स के फॉरेंसिक विभाग के हेड का आरोप है कि उनपर पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट को बदलने का दबाव था.

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डॉ. सुधीर गुप्‍ता ने इसकी शिकायत सीवीसी से की है. यही नहीं शिकायत स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय को भी भेजी गई है. डॉक्‍टर गुप्‍ता का आरोप है कि सुनंदा की मौत को सामान्‍य बताए जाने का दबाव बनाया गया था. उन्‍हें वह पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं सौंपने दी गई, जिसमें उनकी मौत की वास्‍तविक स्थिति थी.

आपको बता दें कि सुनंदा पुष्‍कर का शव 14 जनवरी 2014 को चाणक्यपुरी स्थित होटल लीला पैलेस के कमरा नंबर 345 से बरामद हुआ था. पाकिस्तानी महिला पत्रकार मेहर तरार के शशि थरूर से कथित संबंधों को लेकर दंपत्ति के बीच ट्विटर विवाद सामने आया था. शशि थरूर और सुनंदा पुष्‍कर की यह तीसरी शादी थी. सुनंदा का एक 21 साल का बेटा शिव मेनन है. यह उनकी दूसरी शादी से था.

हमेशा किसी न किसी विवाद या किसी अन्य वजह को लेकर सुर्खियों में रहने वाले इस जोड़े के बारे में बताया जाता है कि किसी कथित प्रेम संबंध को लेकर उनकी कहासुनी हुई थी, जिसका पता उस समय चला था जब थरूर ने दावा किया था कि उनका ट्विटर एकाउंट हैक कर लिया गया है.

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सुनंदा की मौत के बाद पाकिस्‍तानी पत्रकार मेहर तरार ने अपना पक्ष रखते हुए पुष्कर के इन आरोपों से इनकार किया था कि वह थरूर के पीछे पड़ी हैं या उनके साथ उनका कोई संबंध है.

कौन थीं सुनंदा पुष्‍कर

सुनंदा पुष्कर का जन्म एक जनवरी 1962 को हुआ था. वे मूलत: कश्मीर के सोपोर की रहने वाली थीं. उनके पिता पीएन दास भारतीय सेना में वरिष्ठ अधिकारी थे. सुनंदा ने श्रीनगर के गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वीमेन से स्नातक की पढ़ाई की थी. सुनंदा पुष्कर का नाम सबसे पहले अप्रैल 2010 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की कोच्चि टीम की ख़रीद से जुड़े एक विवाद में सामने आया था. इस टीम की ख़रीद में शशि थरूर की भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए थे. मामला इतना बढ़ा कि थरूर को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन कुछ समय बाद उन्हें मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल किया गया.

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