दिल्ली में अब एक निश्चित समय पर प्रदूषण के वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा. सोमवार से रियल टाइम आधार पर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने की शुरूआत हो गई है. ऐसा करने वाला दिल्ली देश का पहला राज्य बन गया है. एसबीवी राउज एवेन्यू स्कूल में सीएम अरविंद केजरीवाल ने रियल टाइम बेसिस पर प्रदूषण के स्रोतों की पहचान के लिए सुपर-साइट और मोबाइल एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन का शुभारंभ किया.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब हमें रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी से हर घंटे पता चलेगा कि कहां, किस वजह से प्रदूषण है और अगले 3 दिन का घंटे के आधार पर फोरकास्ट भी पता चलेगा. इससे हमें किसी एरिया में वाहन, इंडस्ट्री और बायोमास बर्निंग की वजह से होने वाले प्रदूषण का पता चलेगा और उससे लड़ने में मदद मिलेगी.
प्रदूषण को लेकर गंभीर है हमारी सरकार- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारी सरकार प्रदूषण को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर है. जब से दिल्ली में ‘आप’ की सरकार बनी है, प्रदूषण खत्म करने के लिए कई सारे प्रयास किए गए हैं. मसलन, दिल्ली इलेक्ट्रिक पॉलिसी बनाई गई. आज पूरे देश में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन दिल्ली में हैं और हम अपने निर्धारित लक्ष्य को भी पार कर गए हैं. दिल्ली के अंदर सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के लिए मेट्रो चल ही रही है. पहले दिल्ली में बसों की कमी थी, लेकिन अब बसों की पूरी करते जा रहे हैं. पिछले एक-डेढ़ साल के अंदर हमने कई हजार बसें खरीदी हैं और आने वाले समय में कई हजार और बसें खरीदी जाएंगी. उम्मीद है कि 2025 करीब 11 हजार बसें हो जाएंगी. इसमें से करीब 80 फीसद बसें इलेक्ट्रिक होंगी. इसके अलावा, ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी लागू की गई और बड़े स्तर पर पेड़ों को लगाया गया. जिसकी वजह से आज दिल्ली का ट्री कवर बढ़कर 23.6 फीसद हो गया है.
स्टडी से मिले डाटा का होगा विश्लेषण
इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल के सामने आईटी टीम ने एक प्रजेंटेशन के जरिए रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट के सुपरसाइट और मोबाइल स्टेशन के कार्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी. टीम ने बताया कि पहले किसी स्थान पर प्रदूषण के स्रोत का पता लगाने के लिए हम सैंपल लेकर विश्लेषण करते थे. विश्लेषण में दो से चार महीने का समय लग जाता था. लेकिन अब सुपर साइट की मदद से हम हर घंटे पता लगा सकेंगे कि सांस लेने के स्तर पर पीएम-2.5 में कौन से स्रोत का कितना योगदान है. इसमें फोरकॉस्टिंग को बहुत मजबूत किया गया है. इसकी मदद से प्रदूषण को कम करने को लेकर निर्णय ले सकेंगे कि अगले तीन दिन के अंदर क्या किया जा सकता है? इसका मेजरमेंट लेने के बाद एक्शन लिया जा सकेगा. यह बताया जा सकता है कि शॉर्ट टर्म और लांग टर्म में क्या एक्शन लिया जा सकता है. इसकी विशेषताओं में एक सुपरसाइट है. इसमें कई तरह की मशीनें लगी हैं. जिनकी मदद से यह जान सकते हैं कि हर घंटे में क्या हो रहा है. एक मोबाइल लैब है जो हर घंटे अपोर्शनमेंट करेगी. साथ ही मोबाइल लैब को कहीं पर भी लेकर जा सकते हैं और वहां के प्रदूषण की वास्तविक स्थिति को देख सकते हैं. इसके लिए एक वेबसाइट है, जहां पर सारा डेटा एकत्र होगा. उस डेटा का विश्लेशण किया जाएगा और प्रदूषण के सोर्स को चिंहित किया जाएगा.
अब सरकार खुद करेगी स्टडी
पहले अध्ययन एक वर्ष में एक समय (कुछ सप्ताह) पर किया जाता है और बाहरी एजेंसियों द्वारा संचालित किया जाता था और उनके ही स्वामित्व में होता है. वर्तमान प्रोजेक्ट के तहत रियल टाइम और निरंतर अध्ययन, पूरी तरह से सरकार के स्वामित्व में है. तकनीकी विशेषज्ञता वाली एजेंसी (डीपीसीसी) कई प्रतिष्ठित संगठनों और विशेषज्ञों से आती है. प्रोजेक्ट समाप्त होने के बाद आईआईटी टीम डीपीसीसी इंजीनियरों को इस काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करेगी. रियल टाइम और निरंतर स्टडी, जो तकनीकी विशेषज्ञता के साथ पूरी तरह से एक सरकारी एजेंसी (डीपीसीसी) के स्वामित्व में है. परियोजना समाप्त होने के बाद आईआईटी टीम की ओर से डीपीसीसी इंजीनियरों को इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी.
वेबसाइट पर ले सकेंगे प्रदूषण के पूर्वानुमानों की जानकारी
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के पूर्वानुमानों की जानकारी प्राप्त करने के एक वेबसाइट भी लॉन्च किया है. http://raasman.com/ पर जाकर पूर्वानुमान देखे जा सकते हैं. यह रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी के तहत प्रदूषण से संबंधित सभी डेटा और पूर्वानुमान के लिए एक डैशबोर्ड के रूप में कार्य करेगी.