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राजद्रोह की धारा का परीक्षण करने को तैयार सुप्रीम कोर्ट, केंद्र को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट राजद्रोह की धारा का परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए की वैधता की जांच करने का फैसला किया है. जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस केएम जोसेफ की तीन जजों वाली बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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सुप्रीम कोर्ट
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • तीन जजों वाली बेंच ने दिया नोटिस
  • दो पत्रकारों की याचिका पर हुई सुनवाई
  • सरकार ने बनाई थी परामर्श समिति 

सुप्रीम कोर्ट राजद्रोह की धारा का परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए की वैधता की जांच करने का फैसला किया है. जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस केएम जोसेफ की तीन जजों वाली बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दो पत्रकारों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है, जिसमें बोलने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताते हुए इस प्रावधान को चुनौती दी गई थी.

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बता दें बिना सोचे-समझे राजद्रोह कानून के तहत मामले दर्ज करने के आरोपों से जूझने वाली मोदी सरकार ने बीती 17 मार्च को राज्यसभा में संकेत दिया था कि वह राजद्रोह समेत भारतीय दंड संहिता में भी सुधार के लिए तैयार है. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि सरकार ने राजद्रोह कानून (IPC की धारा 124-ए) समेत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों में सुधार पर सुझाव देने के लिए परामर्श समिति बनाई है.

इस समिति का अध्यक्ष नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के कुलपति को बनाया गया है. वहीं जी किशन रेड्डी ने कहा कि मोदी सरकार ने ही देश में राजद्रोह से जुड़े मामलों के आंकड़े अलग से रखने शुरू किए. इससे पहले की सरकार ने इन्हें आईपीसी में दर्ज मामलों के तहत ही रखा.

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गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में कहा था कि 130 करोड़ की जनता के इस देश में राजद्रोह कानून के तहत दर्ज मामले बहुत कम हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के हिसाब से 2014 में इस कानून के तहत मात्र 47, 2015 में 30, 2016 में 35, 2017 में 51, 2018 में 70 और 2019 में मात्र 93 मामले ही दर्ज हुए. उन्होंने जानकारी दी थी कि गृह मंत्री अमित शाह ने 2020 में बनाई गई परामर्श समिति को लेकर देश के सभी मुख्यमंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों, लॉ इन्स्टीट्यूट को पत्र लिखकर सुझाव मांगे हैं. ताकि जो संशोधन किए जाने हैं कानून में वह किए जा सकें. इसकी रिपोर्ट आने के बाद सरकार सीआरपीसी में बदलाव को लेकर संसद में चर्चा करेगी.


 

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