सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे जाने के प्रस्ताव पर उपराज्यपाल से जवाब मांगा है. इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल को कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. यह नोटिस दिल्ली सरकार की याचिका पर जारी किया गया है.
दरअसल दिल्ली सरकार ने शिक्षकों को ट्रेनिंग के लए फिनलैंड भेजे जाने का प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजा था. लेकिन एलजी की ओर से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से यह प्रस्ताव अटक गया था.
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. वहीं इस मामले में राज निवास पहले यह साफ कर चुका है कि उपराज्यपाल ने ट्रेनिंग के लिए शिक्षकों को विदेश भेजने से नहीं रोका है. आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
क्या है पूरा मामला?
एक माह पूर्व केजरीवाल सरकार ने जानकारी दी थी कि फिनलैंड शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए फाइल पहली बार 25 अक्टूबर 2022 को एलजी कार्यालय में भेजी गई थी, ताकि वह इस बात पर विचार कर सकें और इसे 15 दिनों के भीतर भारत के राष्ट्रपति के पास भेज सकें.
नियमों का उल्लंघन करते हुए एलजी ने तीन आपत्तियां जताते हुए 10 नवंबर 2022 को फाइल दिल्ली के मुख्य सचिव को लौटा दी थी. शिक्षक प्रशिक्षण संबंधी गतिविधियों की देखने वाली संस्था एससीईआरटी ने उन बिंदुओं को स्पष्ट किया और 14 दिसंबर 2022 को एलजी को फाइल फिर से सौंपी थी.
इसके बाद, एलजी ने दो और स्पष्टीकरण मांगते हुए 9 जनवरी 2023 को फाइल सीएम को वापस कर दी थी. तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने 20 जनवरी 2023 को सीएम के माध्यम से एलजी को विस्तृत जवाब भेजा था.
चार माह लटकी रही फाइल
केजरीवाल सरकार के बयान में कहा गया था कि फाइल को चार महीने तक लटकाने के बाद संविधान और एससी के आदेशों का उल्लंघन कर प्रस्ताव वापस कर दिया था. दिसंबर 2022 और मार्च 2023 में यह प्रशिक्षण आयोजित होने थे, लेकिन बाद में ये प्रस्ताव निरर्थक हो गया. एलजी ने अपने संशोधित प्रस्ताव में आगे के प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने वाले शिक्षकों की संख्या को संशोधित करने की मांग की. साथ ही भविष्य में इस तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों को कम करने की भी मांग की. एलजी का ऐसा करना एससीईआरटी दिल्ली की सलाह के प्रति पूरी तरह अवहेलना और अनादर दिखाता है.