रेल भवन के सामने दिए गए धरने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजकर पूछा है कि संवैधानिक पद पर बैठा शख्स कानून तोड़कर धरना कैसे दे सकता है.
जवाब देने के लिए केजरीवाल को 6 हफ्ते का समय दिया गया है. शीर्ष कोर्ट केजरीवाल के धरने के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था.हालांकि कोर्ट ने याचिका में उठाए गए अपराध के सवाल पर दखल देने से इनकार कर दिया. जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली बेंच ने संवैधानिक पद पर बैठे शख्स की ओर से कानून की अनदेखी कर धरना करने को गंभीरता से लिया.
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते दिल्ली पुलिस के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में मंत्रियों और AAP विधायकों ने रेल भवन के सामने धरना किया था. इस धरने में धारा 144 समेत कई कानूनों की अनदेखी की गई. वकील एमएल शर्मा ने इसके खिलाफ शीर्ष कोर्ट में याचिका दाखिल की. इस याचिका में उन्होंने दलील दी थी कि कानून बनाने वाले कानून कैसे तोड़ सकते हैं? उन्होंने याचिका में लिखा कि प्रदर्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो गाइडलाइंस जारी की हैं, उनका पालन भी केजरीवाल के धरने में नहीं किया गया.
कोर्ट याचिका में उठाए गए इस सवाल पर विचार करने को तैयार हो गया कि संविधान-सम्मत काम करने की शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्री, कानून तोड़कर कैसे प्रदर्शन कर सकते हैं. ऐसी ही एक याचिका वकील एन राजारमन ने भी दाखिल की थी, लेकिन चूंकि उसमें भी यही दलीलें थीं. इसलिए कोर्ट ने उस पर विचार नहीं किया.