सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उबर रेप मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के 4 मार्च के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें उसने पीड़िता समेत 13 लोगों की दोबारा से गवाही के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत की कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है.
जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस एसए बोब्दे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हाई कोर्ट के फैसले पर और निचली अदालत की इस मामले की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए आदेश दिया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता और बाकी गवाहों से की गई जिरह और दर्ज किए गए सबूतों को बंद लिफाफे में रखा जाए.
मामले की सुनवाई पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और उबर टैक्सी के चालक को नोटिस जारी किया है. उन्हें दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करना है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी टैक्सी चालक की गवाहों से दोबारा पूछताछ करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसके पक्ष में फैसला सुनाया था. कोर्ट ने पीड़िता समेत कुछ गवाहों से दोबारा पूछताछ करने की अनुमति दी थी. इसी फैसले के विरोध में पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह आदेश दिया है.
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के चुनौती देते हुए पीड़िता ने कहा था कि कोर्ट के फैसले का नतीजा यह था कि न्याय में देरी से नुकसान यादव (आरोपी) का होगा, जो कि पूरी तरह से गलत था.