सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियों को एक बैठक बुलाने और शहर के ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए व्यापक उपायों पर चर्चा करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि पेड़ों के खत्म होने से लोगों को गर्मी का एहसास हो रहा है.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की वेकेशन बेंच ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि वन विभाग और वृक्ष प्राधिकरण (Tree Authority) दिल्ली में पेड़ों को अवैध रूप से नुकसान पहुंचाने की गतिविधि पर नजर रखेंगे.
पेड़ों की कटाई के अवैध और उच्चस्तरीय कृत्यों को देखते हुए हम दिल्ली सरकार, वन एवं पर्यावरण विभाग, वृक्ष प्राधिकरण, एमसीडी और डीडीए को नोटिस जारी करते हैं. कोर्ट ने कहा कि वन विभाग के सचिव राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए व्यापक उपायों पर चर्चा करने के लिए नियुक्त विशेषज्ञ समिति की उपस्थिति में इन सभी अधिकारियों की बैठक बुलाएं.
कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों की कटाई को हल्के में नहीं लिया जा सकता है, शीर्ष अदालत ने सोमवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा कि क्या रिज क्षेत्र में पेड़ों को उपराज्यपाल की अनुमति के बिना उनके आदेश पर काटा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले छतरपुर से दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय तक सड़क बनाने के लिए दक्षिणी रिज के सतबारी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाषिश पांडा के खिलाफ आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने उपाध्यक्ष द्वारा दायर "भ्रामक" हलफनामे और अदालत के समक्ष "गलत तथ्य" पेश करने पर नाराजगी व्यक्त की थी. साथ ही डीडीए द्वारा काटे गए प्रत्येक पेड़ के बदले 100 पेड़ लगाने का भी निर्देश दिया.