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MCD हड़ताल पर दखल देने से SC का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल में हस्तक्षेप के लिये दायर याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इंकार करते हुये कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय का काम ‘अपने हाथ में’ नहीं ले सकता.

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MCD कर्मियों की हड़ताल 9वें दिन भी जारी
MCD कर्मियों की हड़ताल 9वें दिन भी जारी

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल में हस्तक्षेप के लिये दायर याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इंकार करते हुये कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय का काम ‘अपने हाथ में’ नहीं ले सकता.

हाईकोर्ट जाने को कहा
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘हम दिल्ली उच्च न्यायालय का काम अपने हाथ में नहीं ले सकते. किसी अंतरिम आदेश के खिलाफ हमारे पास नहीं आयें.’ साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता राहुल बिड़ला से कहा कि अपनी समस्याओं के साथ वापस उच्च न्यायालय जायें.

हस्तक्षेप का किया था अनुरोध
बिड़ला के वकील ने इस मामले में शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुये कहा था कि उच्च न्यायालय में प्रभावी सुनवाई नहीं हो रही है और उसने तो इस मामले को दस फरवरी के लिये स्थगित कर दिया है. पीठ ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की औेर कहा कि सिर्फ इस आधार पर अपील दायर नहीं की जा सकती कि नीचे की अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी है.

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हाईकोर्ट में भी दी थी जनहित याचिका
बिड़ला ने इससे पहले उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि नगर निगम के कर्मचारियों को 2003 से वेतन और बकाये का भुगतान नहीं होने के कारण सफाई कर्मचारी सड़कों से कचरा नहीं हटा रहे हैं.

वेतन देने का पैसा नहीं: MCD
नगर निगम ने दो फरवरी को उच्च न्यायालय से कहा था कि उनके पास जनवरी, 2016 और अगले महीनों का वेतन देने के लिये धन नहीं है. नगर निगम ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार ने वह पूरी राशि जारी नहीं की है जो उसे हर साल उन्हें देनी चाहिए.

दिल्ली सरकार से चल रहा है विवाद
इस पर सरकार ने दलील दी थी कि उसने योजना मद और गैर योजना मद में देय राशि का भुगतान कर दिया है और साल दर साल खराब कामकाज के मद्देनजर निगम में सुधार के लिये धन उन्हें नहीं दिया जायेगा. निगम सुधार कोष उसे दिल्ली के लिये तीसरे वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत दिया जाता है.

सरकार ने कहा- DDA पर 1555 करोड़ बकाया
सरकार ने अदालत को बताया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण पर तीनों निगमों का 1555 करोड़ रुपए से अधिक का भवन कर बकाया है. इस पर अदालत ने प्राधिकरण और केन्द्र से इस पर जवाब मांगते हुये सुनवाई दस फरवरी के लिये स्थगित कर दी थी.

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