scorecardresearch
 

उम्रकैद पर रिहाई के लिए 60 साल की उम्र क्यों जरूरी?, UP सरकार के नियम पर SC का ऐतराज

कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि समय से पहले रिहाई के आवेदन के लिए 60 वर्ष की न्यूनतम आयु के प्रावधान की वैधता पर संदेह है. क्योंकि इस शर्त का मतलब यह है कि उम्रकैद की सजा मिलने वाले 20 साल के युवा को समय से पहले रिहाई का आवेदन करने के लिए 40 साल सलाखों के पीछे रहना होगा.

Advertisement
X
स्टोरी हाइलाइट्स
  • याचिकाकर्ता को मंजूरी के बाद नहीं मिली रिहाई
  • कोर्ट ने सरकार को 4 महीने का समय दिया

उम्रकैद की सजा काट रहे अपराधियों की समय से पहले रिहाई की नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को एक बार फिर विचार करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने 2021 की नई नीति में 60 साल की आयु के प्रावधान पर ऐतराज जताया है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टयता यह नीति टिकाऊ नहीं दिखती. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने इस नीति की वैधता पर संदेह जताया. उन्होंने कहा कि सरकार इस नीति में सुधार पर 4 महीने में कदम उठाए. 

Advertisement

कोर्ट की बेंच ने कहा कि हम समय से पहले रिहाई के आवेदन के लिए 60 वर्ष की न्यूनतम आयु के प्रावधान की वैधता पर बड़ा संदेह व्यक्त करना चाहते हैं. क्योंकि इस शर्त का मतलब यह है कि उम्रकैद की सजा मिलने वाले 20 साल के युवा को समय से पहले रिहाई का आवेदन करने के लिए 40 साल सलाखों के पीछे रहना होगा. राज्य सरकार फिर से इस पर विचार करे. इस मामले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता माता प्रसाद ने रिट याचिका दाखिल की थी. याचिका में कहा गया था कि 26 जनवरी 2020 को उसके अनुरोध को मंजूरी मिलने के बावजूद उसे जेल से रिहा नहीं किया गया.

2004 से सजा काट रहा याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि उसे 2004 में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. 17 साल से अधिक सजा काटने के बाद उसे जेल से रिहा नहीं किया गया है. बता दें कि राज्य सरकार ने दलील दी थी कि 28 जुलाई 2021 को समय से पहले रिहाई की नीति में संशोधन किया था. याचिकाकर्ता के मामले में लागू होने वाला महत्वपूर्ण परिवर्तन यह है कि ऐसे सभी दोषियों के आवेदनों पर विचार के लिए 60 वर्ष की आयु और बिना छूट के 20 वर्ष एवं छूट के साथ 25 वर्ष की हिरासत में होना अनिवार्य है.

Advertisement

पहले भी होती रही हैं रिहाई

राज्य सरकार की सलाह पर राज्यपाल सजा भुगत रहे उम्रकैद के दोषियों की समय से पहले रिहाई के लिए शक्तियों का प्रयोग करते हैं. अच्छे चाल-चलन और व्यवहार के साथ-साथ दूसरे कई मानदंडों के आधार पर कैदियों की समय से पहले रिहाई होती रही है. 

ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच के खिलाफ दिल्ली सरकार

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में दिल्ली सरकार ने सीबीआई जांच का विरोध किया है. सरकार ने इसके लिए हाई कोर्ट में हलफनामा भी दाखिल किया है. सरकार ने अस्पताल के कोविड वार्ड के सीसीटीवी फुटेज जब्त करने का भी विरोध किया है. सरकार का कहना है कि इससे मरीजों की निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है. 

Advertisement
Advertisement