सुप्रीम कोर्ट कल, 5 अगस्त को दिल्ली सरकार की एक याचिका पर फैसला सुनाएगा. कोर्ट में एलजी के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें बकौल दिल्ली सरकार बिना मंत्रिपरिषद की सलाह और मदद के नगर निगम में एल्डरमैन को नामित किया जाना था. इस केस में सुनवाई के बाद कोर्ट ने 17 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
केस की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने की थी और फैसला सुरक्षित रखा था. अब 5 अगस्त को जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अगुवाई वाली बेंच फैसला सुनाएगी. तीन जजों की बेंच ने 17 मई की सुनवाई में कहा था कि एलजी को नगर निगम में एल्डरमैन नामित करने का अधिकार देने का मतलब ये होगा कि वह एक निर्वाचित नागरिक निकाय को प्रभावित कर सकते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में क्या कहा था?
दिल्ली एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य हैं. दिसंबर 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को हराया था. पार्टी ने 134 वार्डों में जीत दर्ज की थी और बीजेपी को 104 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस इस चुनाव में 9 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.
बीती सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि क्या एमसीडी में एक्सपर्ट लोगों का नामांकन केंद्र के लिए इतनी चिंता की बात है? अगर एलजी को एल्डरमैन नामित करने का अधिकार दिया जाता है तो इससे एक चुने हुए नागरिक निकाय को प्रभावित किया जा सकता है क्योंकि, मतदान का अधिकर एल्डरमैन के पास भी होगा.
दिल्ली सरकार और एलजी की दलील
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि दिल्ली सरकार को एमसीडी में लोगों को नामित करने के लिए कोई अलग से अधिकार नहीं दिए गए हैं और पिछले 30 सालों से एलजी द्वारा प्रदेश सरकार की सहायता और सलाह पर एल्डरमैन को नामित करने की प्रथा का पालन किया जा रहा है.
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इसके उलट एलजी के वकील का कहना था कि कोई व्यवस्था 30 साल से चली आ रही है, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि वो व्यवस्था ठीक है. अब यह कल ही पता चलेगा कि आखिर एलजी को एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार दिया जाता है या नहीं.