दिल्ली के लेखानुदान बजट को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. शुक्रवार को 15वीं लोकसभा का आखिरी सत्र है और अगर हंगामे के चलते मामला फंसा तो अप्रैल में दिल्ली सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों पर आफत आ जाएगी. बजट पास ना होने की स्थिति में इन कर्मचारियों की सैलरी रुक सकती है. इसके साथ ही तमाम विकास परियोजनाओं पर भी ब्रेक लग सकता है.
दिल्ली के लेखानुदान बजट को लेकर असमंजस बरकरार है. लोकसभा में गुरूवार को भी पास नहीं हो सका बजट. दिल्ली के सामने पहली बार अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई और सूत्रों की मानें तो इस परिस्थिति को टालने के लिए पिछले 24 घंटे के दिल्ली सरकार के वित्त विभाग के अधिकारी रात-दिन जुटे पड़े थे. मसला है दिल्ली के लेखानुदान बजट का और यह स्थिति इसलिए पैदा हुई क्योंकि स्पेशल सेशन के दौरान केजरीवाल सरकार अपना इस्तीफा देने से पहले वोट ऑन अकाउंट तक पास कराना जरूरी नहीं समझा.
आज तक को मिली जानकारी के मुताबिक, अधिकारियों ने अगले छह महीने की जरुरत के हिसाब से बजट का लेखा-जोखा भेज रखा है. इसके मुताबिक अगले छह महीने के लिए लगभग 18,000 करोड़ की मांग बिजली की सब्सिडी के लिए 600 करोड़ के अनुदान की उम्मीद, 4 करोड़ का एमएलए फंड जारी रखने की उम्मीद.
वहीं, केजरीवाल सरकार ने एमएलए फंड को बंद करने की सिफारिश की थी. विकास से जुड़ी सारी परियोजनाएं जारी रखे जाने की सिफारिश केजरीवाल सरकार से हुई गड़बड़ी को पार्टी नेता अब स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. मनीष सिसोदिया ने कहा, 'अगर हमनें नहीं किया तब अब बीजेपी-कांग्रेस वाले मिलकर पास करा लें.' उधर बीजेपी भी पैदा हुई इस स्थिति के लिए केजरीवाल सरकार की नासमझी और फरेब को जिम्मेदारी ठहरा रही है.