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दिल्ली की बेटी बनकर स्वाति मालिवाल ने राजनाथ सिंह को लिखी भावुक चिट्ठी

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालिवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह एक चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में मालिवाल ने दिल्ली में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध का जिक्र किया है. उन्होंने दिल्ली की तमाम घटनाओं का जिक्र करते हुए गृहमंत्री से मदद की अपील की है.

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स्वाति मालिवाल
स्वाति मालिवाल

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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालिवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह एक चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में मालिवाल ने दिल्ली में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध का जिक्र किया है. उन्होंने दिल्ली की तमाम घटनाओं का जिक्र करते हुए गृहमंत्री से मदद की अपील की है. मालिवाला की लिखी चिट्ठी नीचे पढ़ें:

माननीय श्री राजनाथ सिंह जी,
दिल्ली में लगातार महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहा है. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के वर्ष 2015 के आंकड़ों के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली रेप कैपिटल होने के साथ-साथ अब पीछा(स्टाकिंग) के मामलों में भी देश में सबसे आगे है. पिछले हफ्ते ही एक 23 साल की मासूम लड़की को दर्जनभर से अधिक लोगों ने इसलिए जला दिया क्योंकि उसने आरोपी लड़के के द्वारा की जा रही छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज उठाई थी. मैं कल उस लड़की से अस्पताल में मिली. वह 95 प्रतिशत जल चुकी है और अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रही है. वह बार-बार मुझसे पूछ रही थी क्या वह बच पाएगी? क्या उसको इंसाफ मिलेगा? क्या उसके गुनाहगारों को सजा मिलेगी? मैने उसको आश्वस्त किया कि मैं मरते दम तक उसके लिए लड़ाई लड़ूंगी. सर, इस निर्भया की तस्वीर मेरे जहन से नहीं हट रही है.

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यह अकेली घटना नहीं है जहां मासूम जानों को रौंदा जा रहा हो, कुछ हफ्ते पहले ही दिल्ली में एक 16 साल की लड़की को गैंगरेप करने के बाद उसको जला कर मार दिया गया. जीबी रोड पर छोटी-छोटी बच्चियों का देह व्यापर में धकेला जा रहा है, सिर्फ अगस्त के महीने में दिल्ली में ही 80 से अधिक बच्चियां बलात्कार का शिकार हो चुकी हैं.

हर दिन दिल्ली महिला आयोग ऐसी घटनाओं से रूबरू होता है और जितना हो सकता है महिला आयोग मदद करता है. लेकिन मुझे अब ऐसा लगने लगा है कि एक मुकाम के बाद इन निर्भयाओं की इंसाफ की लड़ाई थम सी जाती है. शुरुआती कार्यवाही भले ही हो जाए लेकिन कुछ दिन बाद यह घटनाएं सिर्फ कहानियां बनकर रह जाती है. हमारा सिस्टम अपने इंसाफ के लिए लड़ रही लड़कियों और महिलाओं को मानो भूल सा जाता है. यदि किसी लड़की की एफआईआर हो जाती है तो उसके बाद तहकीकात और फॉरेंसिक रिपोर्ट में देरी व न्यायपालिकाओं में क्षमता से अधिक केसों का भार उसके न्याय पाने की उम्मीद को दबा देते हैं.

इस चरमराती व्यवस्था की वजह से गुनहगारों में सिस्टम का कोई डर नहीं रह गया है. आज अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वह किसी बच्ची, लड़की, महिला के खिलाफ अपराध करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते. शायद इन अपराधियों को यह लगता है कि दिल्ली की व्यवस्था उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है.

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अपने पिछले पत्रों के माध्यम से मैं आपकों इन समस्याओं से रूबरू कराती रही हूं. लेकिन सर, अभी तक हम दिल्ली को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने की मुहिम में असफल रहे हैं. दिल्ली की शासन प्रणाली और केंद्र व दिल्ली सरकार के बीच समन्वय न होने के कारण महिला सुरक्षा के मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं लिया जा सका है. हम सभी को यह समझना चाहिए कि महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी एक सरकार या संस्था की नहीं बल्कि हमारा सभी का सामाजिक उत्तरादायित्व है.

दिल्ली में निर्भया बलात्कार कांड के बाद एक महिला सुरक्षा पर समिति बनी थी जो केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय को स्थापित करने की ओर काम कर सकती थी लेकिन इस कमेटी को अचानक भंग कर दिया गया. इस समिति का नाम 'महिला सुरक्षा स्पेशल टास्क फोर्स' था जो केंद्रीय गृह सचिव के नेतृत्व में 2012 में स्थापित की गई थी. इस समिति का काम महीने में दो बार मिलकर महिला सुरक्षा के ऊपर ठोस कदम उठाना था. दिल्ली महिला आयोग के विरोध के बावजूद इस समिति को जून 2016 में भंग कर दिया गया और दिल्ली के माननीय उपराज्यपाल को महिला सुरक्षा पर एक समिति के गठन के लिए कहा गया है.

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माननीय उपराज्यपाल ने 2015 में ही अपनी अध्यक्षता में महिला सुरक्षा पर किसी भी समिति का गठन करने से इंकार कर दिया था. उन्होंने इसका सारा दारोमदार दिल्ली के मुख्य सचिव को सौंप दिया था, जबकि दिल्ली पुलिस जो महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिक कड़ी है, वह दिल्ली के मुख्य सचिव के अंतर्गत नहीं आती है. दिल्ली पुलिस सीधा माननीय उपराज्यपाल या केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है. दो दिन बाद दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनी कोर कमेटी की महीनों के बाद मीटिंग होनी है लेकिन इस मीटिंग से कुछ खास निकल कर नहीं आएगा, क्योंकि दिल्ली पुलिस मुख्य सचिव के अंतर्गत नहीं आती है. ऐसे में दिल्ली सरकार के अतंर्गत महिला सुरक्षा पर कोई भी समिति वास्तविक तौर पर खास सुधार नहीं ला सकती है.

दिल्ली पुलिस द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में महिला अपराध के कुल दर्ज मुकदमों में अक्टूबर 2015 तक सिर्फ 50 प्रतिशत केसों में जांच पूरी की गई. जिसमें केवल चंद लोगों को ही सजा मिल पाई. दिल्ली पुलिस ने कई बार अपनी क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है. मुझे बताया गया है कि दिल्ली पुलिस ने कुल 66 हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की मांग केंद्र सरकार से की थी, जिसमें से केवल 2 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती को मंजूरी मिली.

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दूसरी ओर फोरेंसिक लैब में बहुत सारे केसों के सैंपल खराब हो चुके हैं क्योंकि वर्तमान में दिल्ली में एक ही लैब है जिसकी क्षमता से कई गुना सैंपल वहां भेजे जाते हैं. इतना ही नहीं दिल्ली में फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या भी कम है और मौजूदा कोर्टों पर अध्याधिक भार है. नये फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए भी अब तक सरकार की ओर से जमीन मुहैया नहीं करायी गई है.

दिल्ली महिला आयोग की आपसे पुन: हाथ जोड़कर विनती है कि आप दिल्ली पुलिस के मुखिया के तौर पर अपनी अध्यक्षता में दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री, दिल्ली के माननीय उप-राज्यपाल, दिल्ली महिला आयोग और दिल्ली पुलिस कमिश्नर की एक हाई लेवल कमेटी का गठन करें, ताकि महिला सुरक्षा पर सिसायत बंद हो और जिम्मेदारी से सभी संस्थाएं इस मिशन को पूरा करें. इसके साथ ही स्पेशल टास्क फोर्स को पुनर्गठन करें ताकि हाई लेवल कमेटी द्वारा लिए गए फैसलों को इस टास्क फोर्स के माध्यम से जल्द से जल्द लागू करवाया जा सके.

सर, दिल्ली में एक और समिति संचालित थी जिसका नाम था थाना लेवल कमेटी. यह कमेटी हर थाने के स्तर पर स्थानीय विधायक की अध्यक्षता में 1999 से काम कर रही थी, जिसे 2015 में बंद कर दिया गया. इस कमेटी की बैठकों में स्थानीय नागरिक और लोकल पुलिस के बीच वार्तालाप होती थी और दोनों पक्ष अपनी समस्याओं पर चर्चा करते थे और अपनी सहमति से इन समस्याओं का समाधान निकालते थे. इस समिति से सुनिश्चित हो सकता है कि जनता की समस्याएं एवं पुलिस को पेश आ रही कठिनाइयों को स्थानीय स्तर पर सुलझा लिया जाता. आपसे अनुरोध है कि तुरंत थाना लेवल कमेटियों को रद्द करने के दुर्भाग्यपूर्ण फैसले को उलट कर इन समितियों का दोबारा से गठन सुनिश्चित करें.

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सर, ये बातें मैं आपको परेशान करने या आक्षेप लगाने के लिए नहीं कर रही हूं बल्कि इस व्यवस्था को बदलकर एक अंजाम तक पहुंचाने के लिए कर रही हूं. दिल्ली की सारी निर्भया आप की ओर देख रही हैं, मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इन फैंसलों को प्रतिबद्ध होकर अंजाम तक पहुंचाएंगे.

धन्यवाद
दिल्ली की एक बेटी,
स्वाति मालिवाल जयहिंद

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