बच्चों को संस्कार देने की शुरूआत गर्भावस्था से ही हो जानी चाहिए. उन्हें भगवान राम, हनुमान, शिवाजी महाराज और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और संघर्ष के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे संस्कार जल्दी सीख सकेंगे. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े राष्ट्र सेविका समिति के एक कार्यक्रम में कही गई, इसमें 70-80 डॉक्टर भी शामिल हुए थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक RSS के महिला वर्ग राष्ट्र सेविका समिति की एक शाखा संवादी न्यास ने 'गर्भ संस्कार' (गर्भावस्था संस्कृति) नामक एक अभियान शुरू किया है. इसके तहत स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भवती महिलाओं तक पहुंचेंगे और उन्हें सिखाएंगे कि कैसे उन प्रथाओं को अपनाना है, जिससे सुनिश्चित हो सके कि बच्चा जन्म से पहले ही भारतीय संस्कृति के बारे में सीख ले. रविवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इसे लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां कई स्त्री रोग विशेषज्ञ इकट्ठा हुए और उन ऐसी एक्सरसाइज के बारे में जाना.
रविवार को हुए इस कार्यक्रम में 12 राज्यों के 70-80 डॉक्टरों ने भाग लिया. इनमें ज्यादातर स्त्री रोग विशेषज्ञ और आयुर्वेद चिकित्सक थे. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी को बनाया गया था, हालांकि वह आयोजन में नहीं पहुंचीं.
संगठन की राष्ट्रीय आजोयन सचिव माधुरी मराठे ने कहा कि गर्भ से ही बच्चे में यह संस्कार लाने की जरूरत है कि हमारी प्राथमिकता देश है. माधुरी ने शिवाजी की मां जीजा बाई का उदाहरण देकर बताया कि कैसे उन्होंने एक लीडर को जन्म देने के लिए प्रार्थना की थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं को उनकी तरह प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि बच्चे में हिंदू शासकों के गुण आ जाएं.
कार्यक्रम में शामिल AIIMS के एनएमआर विभाग की प्रमुख डॉ. रामा जयसुंदर ने कहा कि विकलांग और ऑटिज्म के साथ पैदा होने वाले बच्चों की तादाद कुछ समय पहले काफी बढ़ गई थी. ये खासतौर पर उन माता-पिता के साथ होता है, जो मजबूत आर्थिक स्थिति के कारण आरामदायक जीवन जीते हैं.
उन्होंने कहा कि गर्भ संस्कार गर्भावस्था से पहले ही शुरू हो जाता है. जैसे ही कोई जोड़ा बच्चे के बारे में सोचता है, आयुर्वेद की भूमिका शुरू हो जाती है. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान संस्कृत पढ़ना चाहिए. इसके साथ ही गीता पाठ भी करना चाहिए. उन्होंने दावा किया सही 'गर्भ संस्कार' करने पर गर्भ में बच्चे का डीएनए भी बदला जा सकता है.
संगठन ने देश में हर साल 1,000 गर्भ संस्कार वाले बच्चों को जन्म देने का लक्ष्य रखा है. यह पहल भारत के पुराने गौरव को बहाल करने के लिए है. उन्होंने आगे कहा कि देश में अपराध बहुत ज्यादा हैं. आजकल देखने को मिल रहा है कि बच्चे अपने माता-पिता की हत्या कर रहे हैं, बलात्कारी बन रहे हैं. लेकिन अगर महिलाएं राम जैसे बच्चों को जन्म देती हैं तो उन्हें खुशी होगी.