पिछले साल दिल्ली सरकार के राजकीय विद्यालय नांगलोई में एक छात्र ने अपने क्लास टीचर मुकेश कुमार पर ताबड़तोड़ चाकुओं से हमला कर हत्या कर दी थी. मंगलवार को शिक्षक की पुण्यतिथि पर कैंडल मार्च निकाल कर सैकड़ों टीचर्स ने केजरीवाल सरकार के उस दौरान किए गए वादों को याद दिलाया.
दिल्ली सरकार के स्कूलों की शिक्षकों की सबसे बड़ी संस्था गवर्मेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (जीएसटीए) के महासचिव अजय वीर यादव ने बताया कि शिक्षक की निर्मम हत्या के बाद शिक्षक संघ ने पांच मांगें रखी थी, सरकार ने आन्दोलन की आग को ठंडा करने के लिए मुआवजा राशि देने की घोषणा तो कर दी थी. लेकिन उस वक्त दिल्ली सरकार ने जो मांगे मानी थी वो आज एक साल बाद भी अधूरी पड़ी हैं.
टीचर्स की सेफ्टी पर चुप है सरकार
टीचरों की संस्था ने बताया कि सबसे बड़ा मुद्दा शिक्षकों की सुरक्षा का है. दिल्ली सरकार के शिक्षकों के साथ कई बार स्कूल के अंदर और स्कूल के बाहर मारपीट तक होती है. सुरक्षा को लेकर दिल्ली सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया.
कैंडल मार्च के दौरान संघ ने बताया कि मुकेश की हत्या उसकी ड्यूटी के दौरान की गयी. उनके बच्चों को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी मिलनी चाहिए और विद्यालय का नाम शहीद मुकेश के नाम पर रखना व शहीद मुकेश प्रतिमा लगाकर एक आदर्शवादी शिक्षक का मरणोपरांत सम्मान करना चाहिए था. दिल्ली सरकार का इस ओर नकारात्मक रवैया रहा.
कैंडल मार्च शहीद मुकेश के परिजनों की पहल पर किया गया. इसमें सैकड़ों शिक्षको ने हिस्सा लिया और महासचिव अजय वीर यादव ने उपमुख्यमंत्री व शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर इन मांगों पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है. अविलम्ब मांगे पूरी करने की मांग की है. कैंडल मार्च में आम आदमी पार्टी विधायक रघुविंदर शौकीन और निगम पार्षद अनिल लाकरा ने भी हिस्सा लिया.