एक तरफ दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र के लाए गए अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने पर तुली है तो वहीं इस मसले पर कांग्रेस से तनाव होने के बावजूद पार्टी, उससे पूरी तरह दूरी भी नहीं बना पा रही है. हालांकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दिल्ली-पंजाब समेत राजस्थान में भी एक-दूसरे को घेरते नजर आते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने राहुल गांधी की सदस्यता मामले में केंद्र सरकार को घेरा है.
आम आदमी पार्टी की ओर से आया बयान
बता दें कि, राहुल गांधी की सदस्यता मामले को लेकर गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले पर AAP का अधिकारिक बयान सामने आया है. पार्टी की ओर से कहा गया कि, 'पूरे देश में दिख रहा है कि जो लोग भी विपक्ष में हैं, उनपर हर प्रकार के केस किए जा रहे हैं, उनके पीछे एजेंसियां लगाई जा रही हैं, और सदस्यता भंग करने की कोशिशें हो रही है. जो भी केन्द्र सरकार के विरोध में है, उन पर कोई न कोई कार्रवाई चल रही है. हालांकि यह मामला कोर्ट में है, हम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं. लेकिन जो भी न्यायालय हैं, वो चाहे सुप्रीम कोर्ट हो या लोअर कोर्ट, संविधान को बचाकर रखना कोर्ट की ही ज़िम्मेदारी है. संविधान का सम्मान और सिद्धांत बरकरार रहे, यह सबसे जरूरी है.'
सदस्यता जाने पर भी राहुल गांधी का किया था समर्थन
वहीं, जब मार्च में राहुल गांधी की सांसद के तौर पर संसद सदस्यता चली गई थी तब भी सरकार ने कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई थी और केंद्र सरकार का विरोध किया था. राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट के फैसले पर असहमति जताते हुए ट्वीट किया था. ट्वीट में लिखा था कि, 'गैर बीजेपी नेताओं और पार्टियों पर मुकदमे करके उन्हें खत्म करने की साजिश हो रही है. हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं, मगर राहुल गांधी जी को इस तरह मानहानि मुकदमे में फसाना ठीक नहीं. जनता और विपक्ष का काम है सवाल पूछना. हम अदालत का सम्मान करते हैं पर इस निर्णय से असहमत हैं.'
सीएम केजरीवाल ने किया था ट्वीट
इस ट्वीट में सीएम केजरीवाल ने कांग्रेस से मतभेद की बात भी स्वीकार की थी, लेकिन साथ ही कोर्ट के फैसले पर असहमत होते भी दिखे थे. अब ऐसा ही रुख आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर दिखाया है. बीते दो-तीन महीनों से जिस विपक्षी एकता की मुहिम में तेजी आई है, उसकी होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का निमंत्रण पत्र मिला है. आम आदमी पार्टी ने इसके लिए कांग्रेस को जो जवाब भेजा है, उसमें एक बार फिर अध्यादेश के खिलाफ समर्थन देने की बात उठाई गई है.
कांग्रेस ने आप को बैठक के लिए भेजा निमंत्रण
आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि आप को विपक्षी एकता बैठक के लिए कांग्रेस का निमंत्रण मिला है, इसका कांग्रेस को जवाब भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस निमंत्रण के जवाब में कांग्रेस से दिल्ली अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध करने का आग्रह किया गया है. उन्होंने कहा कि, आम आदमी पार्टी ने पटना में विपक्ष की बैठक के दौरान भी कांग्रेस से दिल्ली अध्यादेश का विरोध करने का आग्रह किया था. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को पत्र लिखकर फिर से दिल्ली अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि अब मानसून सत्र दो सप्ताह से भी कम समय में शुरू होने वाला है.
पटना की बैठक में क्या हुआ था?
यानि आम आदमी पार्टी कांग्रेस और राहुल गांधी की सदस्यता मामले में जो समर्थन दे रही है वह उसकी उस नीति का हिस्सा अधिक लग रहा है, जिसके तहत आम आदमी पार्टी जल्द से जल्द अध्यादेश के खिलाफ अधिक से अधिक समर्थन जुटा सके और इसे चुनौती दे सके. सीएम केजरीवाल ने बीते दिनों इसके लिए कई राज्यों का दौरा भी किया है और मुख्यमंत्रियों से मिलकर अपने लिए समर्थन की भी मांग की है. बल्कि जून में जब पटना में विपक्षी एकता की मुहिम को धार देने के लिए नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई तब भी आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल वहां अपना यही एजेंडा लेकर पहुंचे थे. हालांकि पटना की बैठक में न तो विपक्षी एकता की मुहिम पर ही कोई बात स्पष्ट हो पाई और न ही कांग्रेस ने अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को स्पष्ट समर्थन ही दिया था.
आखिर क्यों है आप और कांग्रेस में तनाव?
वहीं, यह भी सामने आया था कि विपक्षी एकजुटता को लेकर बैठक से ठीक पहले ही आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला था. केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में अध्यादेश को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राहुल गांधी के बीच डील हो गई है. बता दें कि, इससे पहले सीएम केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ ही राहुल गांधी से भी मुलाकात के लिए वक्त मांगा था., हालांकि, तब तक कांग्रेस नेताओं की ओर से सीएम केजरीवाल को मुलाकात के लिए वक्त नहीं दिया गया था.
पटना की बैठक के ठीक पहले इस तरह के बयान को दबाव की राजनीति से जोड़कर देखा गया था, जहां केजरीवाल की मंशा यह बताई गई थी कि बैठक के दौरान दूसरी पार्टियां कांग्रेस पर अध्यादेश को लेकर नरम रुख अपनाने के लिए दबाव बनाएंगी. हालांकि तब भी कांग्रेस की ओर से केजरीवाल के लिए मनमुताबिक जवाब नहीं आया था. इसे ही लेकर दोनों पार्टियों में एकता वाली मुहिम की कोशिशों के बीच भी तनाव पसरा हुआ है.
सीएम अरविंद केजरीवाल अध्यादेश की खिलाफत को विपक्षी एकता का लिटमस टेस्ट जैसा प्रयोग साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर तनाव को परे रखकर राहुल गांधी का समर्थन करते हुए गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर असहमति जताई है और केंद्र सरकार का विरोध किया है.