दिल्ली समेत उत्तर भारत के तमाम इलाकों में इन दिनों हर जगह स्मॉग छाया हुआ है. स्मॉग यानी स्मोक और फॉग. इसका सीधा सा मतलब ये है कि हल्के कोहरे में जब धुंआ मिल जाता है तो स्मॉग कंडीशन बनती है.
उत्तर भारत के तमाम इलाकों में इन दिनों मौसम की स्थिति इस तरह की है कि तापमान में गिरावट का दौर है और वातावरण में पुरवैया हवाओं के चलते नमी बनी हुई है. ऐसे में पंजाब और हरियाणा में धान की फसल काटने के बाद बची हुई ठूंठ को जलाने की वजह से पूरे इलाके में धुंआ आ मिला है . इससे पूरे के पूरे इलाके में स्मॉग नजर आ रहा है.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने 30 अक्टूबर को उत्तर भारत की एक सैटेलाइट तस्वीर ली है. इस तस्वीर में एक तरफ हिमालय पर बर्फ पड़ी है तो वहीं दूसरी तरफ पंजाब और हरियाणा के ऊपर कई लाल लाल बिंदू नजर आ रहे हैं. ये लाल रंग के बिंदू दरअसल सैटेलाइट के इंफ्रारेड सेंसर में आग के तौर पर दर्ज हुए हैं. इस समय पंजाब और हरियाणा के तमाम इलाकों में किसानों ने अपनी धान की फसल काटी है और खेत को साफ करने लिए धान की खरपतवार में आग लगा दी है. इससे पूरे इलाके में धुएं के बादल छा गए हैं ये बादल सैटेलाइट की तस्वीर में साफ देखे जा सकते हैं. प्रदूषण के जानकारों का कहना है कि दिल्ली और आस पास के इलाकों में स्मॉग के चलते हवा खतरनाक हो गई है.
दरअसल हवा में मौजूद सबसे महीन कण जिनको पीएम 2.5 कहते हैं कि मात्रा अक्टूबर के अंत से ही काफी ऊपर बनी हुई हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो पीएम 2.5 की औसत मात्रा हर एक घन फीट हवा में 168 मिलीग्राम तक जा पहुंची हैं. जबकि पीएम 2.5 की सामान्य मात्रा 60 मिलीग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए. इसी तरह पीएम 10 की मात्रा प्रति घन मीटर में औसतन 280 मिलीग्राम तक जा पहुंची है जबकि इसकी सेफ लिमिट 100 मिलीग्राम है.
जानकारों के मुताबिक हवा में खतरनाक कणों की मात्रा इस तरह से ज्यादा होने से बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, दिल के मरीजों और अस्थमा के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है.