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जल बोर्ड में कर्मचारियों की किल्‍लत की क्‍या है हकीकत

राजधानी में पानी से हुई मौतों के बाद जलबोर्ड पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. पानी की गुणवत्ता शक के घेरे में है. दिल्ली जल बोर्ड में स्टाफ की कमी का खामियाज़ा दिल्ली की जनता भुगत रही है.

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राजधानी में पानी से हुई मौतों के बाद जलबोर्ड पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. पानी की गुणवत्ता शक के घेरे में है. दिल्ली जल बोर्ड में स्टाफ की कमी का खामियाज़ा दिल्ली की जनता भुगत रही है. जलबोर्ड भले ही दावे करती है कि उनके पास स्टाफ की कमी नहीं लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही बयां करती है.

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दिल्ली में कुल 9 जिले हैं. इसमे से सिर्फ 6 जिलों में वॉटर क्वालिटी चेकिंग लैब है. यानी सीधे तौर पर कहा जाए तो 3 जिलों में पानी जांचने की कोई सुविधा ही नहीं है. ऊपर से ये 6 लैब भी स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. इसी का नतीजा है कि कटवरिया सराय, एनसीईआरटी कॉलोनी में गंदा पानी पीने से दो मौतें हो गईं.

दिल्ली जल बोर्ड दावा करते नहीं थकता कि स्टाफ की कोई कमी नहीं है लेकिन कैग रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली जल बोर्ड में क्वालिटी कंट्रोल डिपार्टमेंट में कुल 180 का स्टाफ होना चाहिए जिसमें 118 रेगुलर स्टाफ हैं और 16 टेक्नीशियन कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर हैं. यानी कुल 46 कर्मचारियों की कमी है. लेकिन सीएम साहिबा को इसकी परवाह कहां. ऐसे में दिल्ली आजतक सरकार से पूछ रहा है 5 सवाल.
1. 5 जिलों में लैब क्यों नही?
2. स्टाफ की कमी कब पूरी होगी?
3. जहां लैब नहीं वहां पानी कैसे जांचा जाता है?
4. रिपोर्ट होने पर देरी से कार्रवाई क्यों?
5. कब करेगी सरकार लोगों की जान की परवाह?

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जुलाई 2011 से सितबंर 2011 में 19 केसेस पाए गए थे. जिनमें 5 केसेस के खिलाफ दो साल तक कोई एक्शन नहीं लिया गया. यानी कि ये बात तो साफ है कि कर्मचारियों की कमी तो है ही साथ ही लोगों की जान की परवाह किए बिना लापरवाही भी बरती जा रही है. लिहाजा गंदे पानी से लोगों की मौत हो रही है और सैंकड़ों अस्पताल में भर्ती हैं.

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