गाजीपुर में बना कचरे का पहाड़ अब नहीं रहेगा. अब इसका इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए किया जाएगा. इसके लिए जल्द ही पूर्वी दिल्ली नगर निगम, नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर करेंगे. इस कचरे का इस्तेमाल नेशनल हाइवे बनाने में किया जाएगा.
इसमें करीब गाजीपुर लैंडफिल साइट से 80 लाख टन कुड़े को साइट पर शिफ्ट करने का अनुमान है. गाजीपुर लैंडफिल साइट पर करीब 120 लाख टन मीट्रिक टन कूड़ा है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम इस मसले पर कई बार केंद्र सरकार से गुहार भी लगा चुका था. ग्रीन सिग्नल मिलते ही पूर्वी दिल्ली नगर के स्टैडिंग कमेटी में इसे पास कर दिया और अब जल्द ही इसका काम भी शुरू किया जाएगा.
लैंडफिल साइट पर प्रतिदिन 2000 टन से अधिक कचरा डाला जा रहा है. करीब 30 एकड़ के लैंडफिल साइट पर वर्तमान में लगभग 120 लाख टन कूड़ा है जो करीब 15 मंजिला इमारत के बराबर है. इसका इस्तेमाल दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे और एनएच 24 के निर्माण में किया जा सकता है. गत वर्ष एनएचएआइ के चेयरमैन राघव चंद्रा से मिलकर गाजीपुर के कचरे का इस्तेमाल एचएच-24 को चौड़ा करने का प्रस्ताव दिया था.
इसको स्वीकार करते हुए एचएचएआइ की ओर से कचरे की उपयोगिता को लेकर केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान से अध्ययन करवाया. इसके तहत 30 मीटर तक की ऊंचाई तक के कचरे का 30 जगहों से नमूना एकत्र किया गया. इसमें पाया गया कि लैंडफिल साइट के 80 फीसद हिस्से का इस्तेमाल किया जा सकता जबकि बाकी बचे कचरे से बिजली उत्पादन में किया जा सकेगा. इस तरह गाजीपुर लैंडफिल साइट के 70 एकड़ में से अधिकतर हिस्सा खाली हो जाएगा. इसका दूसरा उपयोग हो सकेगा.