राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर एक बार वायु प्रदूषण की चपेट में है. पिछले 15 दिन से दिल्ली और आसपास के इलाके की आवोहवा में 'जहर' घुल गया है. लोगों के सामने स्वास्थ्य की सबसे बड़ी चुनौती और मुसीबत आ गई है. कहा जा सकता है कि महशूर शायर शहरयार की गजल 'सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है? इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है?' जैसे हालात बन गए हैं. दिल्ली में प्रदूषण के कारण यही हाल लोगों के बीच भी देखने को मिल रहे हैं. डॉक्टर्स लेकर मेडिकल हेल्थ एक्सपर्ट ने इस समय हवा को बेहद खतरनाक और लंबे समय तक बीमार बनाने वाला बताया है.
बता दें कि दिल्ली का AQI शुक्रवार सुबह 471 तक पहुंच गया है, ये 'गंभीर प्लस' श्रेणी में है. इसके साथ ही दिल्ली में वायु प्रदूषण इस साल अब तक के सबसे खराब स्तर है. गुरुवार को रात 10 बजे AQI 422 दर्ज किया गया. पिछले कुछ दिनों से इसकी स्थिति धीरे-धीरे खराब होती जा रही है. बुधवार को AQI 364, मंगलवार को 359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 था. जानकार कहते हैं कि इस समय अत्यधिक मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियां हैं. पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं की वजह से तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ गया है. फिलहाल, पिछले कुछ दिन तक राहत की उम्मीद नहीं है.
क्या शिकायतें आ रही हैं...
दिल्ली में प्रदूषण की वजह से आम लोग असहज महसूस कर रहे हैं. लोगों में सर्दी-जुकाम, कफ के साथ जल्दी थकावट, तनाव, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, सांस लेने में परेशानी, गले में खरास, बदन दर्द, सिरदर्द, आंखों में लाली या पीलापन, आंखों और चेहरे पर सूजन आदि की शिकायतें भी आ रही है.
क्या कहते हैं कि हेल्थ एक्सपर्ट....
'लंबे समय तक परेशानियां रहेंगी'
दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान की एचओडी क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. प्रज्ञा शुक्ला का कहना है कि वायु प्रदूषण के स्तर के कारण लोगों को आंखों में जलन, पानी आना, सिरदर्द और थकान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है... इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव होंगे.
'ब्रोंकाइटिस मरीजों की संख्या बढ़ रही'
हेल्थ एक्सपर्ट ने बताया कि वायु प्रदूषण बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा और फेफड़ों की समस्याएं बढ़ा रहा है. सफदरजंग अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रमुख जुगल किशोर ने कहा, चिड़चिड़ापन वाले ब्रोंकाइटिस वायरस (यह वायरल संक्रमण फेफड़ों के निचले श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है) की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यह सलाह देना चाहेंगे कि क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं से पीड़ित लोग अपनी दवाएं नियमित रूप से लें और जब तक बहुत जरूरी ना हो, खुले में ना जाएं. घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें.
क्या है ब्रोंकाइटिस बीमारी?
ब्रोंकाइटिस ब्रोन्कियल ट्यूब (फेफड़ों में वायु मार्ग) शरीर का वो हिस्सा होता है जो फेफड़ों से हवा के आने-जाने को व्यवस्थित करता है. यह वायरस बैक्टीरिया या हवा के बीच में आने वाली अड़चन के कारण होता है जो ब्रोन्कियल ट्यूबों की सूजन को ट्रिगर करते हैं. धूम्रपान को इसका एक प्रमुख जोखिम फैक्टर माना जाता है, लेकिन धूम्रपान ना करने वाले भी ब्रोंकाइटिस से प्रभावित हो सकते हैं. प्रदूषण के बढ़ने के कारण स्मॉग सांस लेने के मार्ग में अड़चन डाल सकता है. इससे फेफड़ों की कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है. इससे बीमारी के होने संभावना बढ़ सकती है.
दिल्ली में सामान्य से साढ़े तीन गुना से ज्यादा प्रदूषक
दरअसल, दिल्ली की हवा में इस समय साढ़े तीन गुना ज्यादा प्रदूषक कण हैं. मानक को देखा जाए तो हवा में प्रदूषक कण PM 10 का स्तर 100 से और PM 2.5 का स्तर 60 से कम रहने पर ही स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक माना जाता है. दिल्ली में गुरुवार शाम PM 10 का स्तर 358 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और PM 2.5 का स्तर 197 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर रहा.
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि घर के अंदर रहने, सुबह की सैर से बचने, फ्लू और निमोनिया का टीका लगवाने, बाहर निकलते समय एन -95 मास्क पहनने से वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है.
जानकारों ने प्रदूषण बढ़ने के गिनाए कारण...
- दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली जलाने को प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण माना जा रहा है. देश के उत्तरी हिस्सों में पराली जलाने के मामले अभी भी कम नहीं हुए हैं. इसके कारण दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और आसपास के इलाकों में हवा में धुंध बढ़ रही है.
- दिल्ली में इस साल अक्टूबर में बारिश भी नहीं हुई है. पिछले दो साल के रिकॉर्ड देखें तो दिल्ली में इस बार ना के बराबर बारिश हुई है. वैज्ञानिकों ने हवा खराब होने का यह भी एक कारण बताया है.
- जानकार कहते हैं कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता इस साल 2020 के बाद से सबसे खराब हुई है. दिल्ली में अक्टूबर 2022 में 129 मिमी, अक्टूबर 2021 में 123 मिमी बारिश हुई है. जबकि अक्टूबर 2023 में सिर्फ 5.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई.
- दिल्ली का वायु प्रदूषण 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच चरम पर होता है. इसी समय पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाने के मामले बढ़ जाते हैं. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने बताया कि इस साल 15 सितंबर के बाद से पंजाब और हरियाणा दोनों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में इसमें बहुत उछाल आ गया है.
- गुरुवार को कई स्थानों पर PM2.5 की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना ज्यादा हो गई.
- पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के एक मॉडल-आधारित अध्ययन से पता चला है कि गुरुवार को दिल्ली में PM2.5 प्रदूषण में पराली जलाने से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी 25% थी. आज यह 35 फीसदी तक जा सकता है.