10 फरवरी की एक तस्वीर याद कीजिए. दिल्ली के चुनाव नतीजे आ गए हैं. आम आदमी पार्टी के पटेलनगर दफ्तर की बालकनी में सीनियर AAP नेता पार्टी की जीत का जश्न मना रहे हैं. केजरीवाल के दाईं तरफ आशुतोष, बाईं तरफ कुमार विश्वास हैं. आशीष खेतान, संजय सिंह और मनीष सिसोदिया भी यहां मौजूद हैं. योगेंद्र यादव एक चैनल के स्टूडियो में जीत का विश्लेषण कर रहे हैं और प्रशांत भूषण का कुछ पता नहीं है. AAP के चेहरे अब कौन लोग होंगे, चाहें तो इसकी झलक आप इसी तस्वीर में खोज सकते हैं.
पार्टियों का सांगठनिक ढांचा कुछ स्तरों पर कंपनियों जैसा ही होता है. कोई जाता है तो तो उसकी जगह दूसरा ले लेता है. आम आदमी पार्टी में भी अब ऐसे ही हालात बन रहे हैं. पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की छु्ट्टी हो गई है और अब उन्हें पार्टी से भी निकाले जाने की मांग जोर पकड़ रही है. लेकिन इन दोनों नेताओं के 'डिमोशन' का फायदा AAP के कुछ दूसरे नेताओं को हो सकता है. योगेंद्र और प्रशांत की कमी पूरी करने के लिए केजरीवाल की पार्टी में इन नेताओं का कद बढ़ सकता है.
1.) आशुतोष: 9 जनवरी 2014 को एक न्यूज चैनल में मैनेजिंग एडिटर का पद छोड़ आशुतोष AAP में आ गए और बहुत कम समय में केजरीवाल की फेवरेट लिस्ट में शुमार किए जाने लगे. हालिया दिल्ली चुनाव में बतौर रणनीतिकार उनके काम को पसंद किया गया. प्रवक्ता के तौर पर एकाध बार उन्होंने बड़बोलापन जरूर दिखाया है, पर कुल मिलाकर उनकी 'परफॉर्मेंस' बुरी नहीं है. अगर नई पीएसी गठित होती है तो संभव है कि आशुतोष भी उसमें जगह पा जाएं.
2.) आशीष खेतान: AAP के पत्रकार नंबर दो. अपनी खोजी खबरों और स्टिंग के बूते पहचान बनाने वाले आशीष भी पार्टी में प्रमोट किए जा सकते हैं. दिल्ली चुनाव से पहले AAP के महत्वाकांक्षी 'दिल्ली डायलॉग' की जिम्मेदारी उन्हीं के पास थी, जिसका पार्टी को चुनाव में खूब फायदा मिला. अपनी वेबसाइट पर वह खुद को 'खोजी पत्रकार' और 'एंटी करप्शन क्रूसेडर' बताते हैं. उनका पुराना अनुभव देखते हुए लगता है कि वह अब नए प्रशांत भूषण की भूमिका में आ सकते हैं. विपक्षियों को योजनाबद्ध तरीके से घेरने के लिए खुफिया दस्तावेजों की खोज और तथ्यों के अध्ययन का काम अब उन्हीं के जिम्मे रहेगा. बताया जाता है कि वह पीएसी की वेटिंग लिस्ट में भी हैं.
3.) संजय सिंह: मनीष सिसोदिया के बाद केजरीवाल किसी पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं, तो वह संजय ही हैं. टिकट बंटवारे से लेकर अंदरूनी फैसलों तक, संजय सिंह ने पार्टी पर अच्छा-खासा नियंत्रण बना लिया है. अगर केजरीवाल निकट भविष्य में कभी भी संयोजक पद छोड़ते हैं और कोई बड़ा प्रयोग नहीं करते तो संजय की दावेदारी सबसे बड़ी होगी. योगेंद्र और प्रशांत के डिमोशन से उन कद्दावर व्यक्तित्वों की भी विदाई हो गई है जो आगे चलकर इस रेस में संजय के मुकाबले खड़े हो सकते थे.
4.) कुमार विश्वास: मगर कुमार की दावेदारी बची हुई है. पार्टी की सभी बेचैनियों को कुमार विश्वास बखूबी समझते हैं. अब वह राजनीति के पार्ट-टाइम स्टुडेंट नहीं रहे. एक नेता के तौर पर कहीं ज्यादा परिपक्व और धैर्यवान नजर आने लगे हैं. अमेठी की जनता की ओर से 'अस्वीकृत' किए जाने के बाद उनका मन थोड़ा उखड़ा था, लेकिन दिल्ली चुनावों से पहले वह पूरे मन से पार्टी में सक्रिय हो गए. पार्टी के भावी संयोजक और राज्यसभा की सीट, दोनों को लेकर उनका नाम चर्चा में है.
4.) पंकज गुप्ता: फिलहाल पार्टी के सचिव हैं, फंडिंग के इंचार्ज हैं और केजरीवाल के भरोसेमंद लोगों में से एक हैं. उन्हें लो-प्रोफाइल रहने का इनाम मिल सकता है. वह पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं. सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में 25 साल का अनुभव है. नौकरी छोड़कर सामाजिक कार्य करने लगे. गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाने से शुरू किया, फिर जनलोकपाल आंदोलन से होते हुए AAP में आए.