जेल में बंद कैदियों के मानवाधिकारों को लेकर लगाई गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन से पूछा है कि कैदियों को उनके वकीलों से मुलाकात को आसान बनाने के लिए प्रशासन ऑनलाइन सिस्टम को कब तक लागू करने जा रहा है. दरअसल. साल 2014 की एक याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है, जिसमें कहा गया है कि कैदियों से मिलने जाने के वक्त वकीलों को काफी संघर्ष करना पड़ता है.
कैदी से मिलने के लिए वकीलों को कई घंटों इंतजार करना पडता है. इतना ही नहीं, तिहाड़ के नियमों के मुताबिक वकील हफ्ते में सिर्फ एक ही बार कैदी से मिलने के लिए जा सकता है. इसके अलावा अगर वकील अपने किसी रिश्तेदार के लिए पेश हो रहा है, तो वह वकील के तौर पर तिहाड़ में कैदी से मिलने नहीं जा सकता. वह रिश्तेदार के तौर पर ही कैदी से मुलाकात कर सकता है.
तिहाड़ प्रशासन ने दिल्ली हाईकोर्ट को दिए अपने हलफनामें में कहा है कि वह कैदी से मिलने के लिए अपने सिस्टम को ऑनलाइन करना चाहता है और उसके लिए कई विशेषज्ञों की राय ले रहा है. फिलहाल तिहाड़ प्रशासन यह साफ नहीं कर सका है कि वकील और कैदियों को होने वाली असुविधा को कब तक खत्म करके वह अपने सिस्टम को ऑनलाइन कर पाएगा.
मिलने के लिए सिस्टम को ऑनलाइन करने के अलावा याचिका में तिहाड़ के उस निर्देश को भी चुनौती दी गई है, जिसमें कोई वकील अपने रिश्तेदार से मिलने के लिए वकील के तौर पर नहीं जा सकता है. याचिकाकर्ता वकील अमित साहनी का कहना है कि जब बार काउसिंल ऑफ इडिया ही अपने किसी रिश्तेदार की वकालत करने से किसी वकील को नहीं रोकता, तो फिर तिहाड़ इस तरह का नियम कैसे बना सकता है. ये सीधे तौर पर मानवाधिकार हनन का मामला है. कोर्ट इस मामलें में अगली सुनवाई 20 सितंबर को करेगा.