दिल्ली कांग्रेस की नेता और चांदनी चौक की पूर्व विधायक अलका लांबा ने रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 'हम होंगे कामयाब एक दिन' गाने पर कहा कि आज आम आदमी पार्टी का दिन है लेकिन कल फिर कांग्रेस का दिन होगा. अलका को इस बार AAP का दामन छोड़ना भारी पड़ा और कांग्रेस में शामिल होकर उन्हें चुनावी शिकस्त मिली है.
कांग्रेस पार्टी से आम आदमी पार्टी और फिर वापस कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेने वाली लांबा ने ट्वीट में कहा, "अतीत हमारा था, आज आपका है और भविष्य हमारा होगा."
असल में, 8 फरवरी को हुए दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं की. कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर पांच प्रतिशत से भी कम रहा.कल हमारा था, आज #आप का है तो कल फिर हमारा होगा 👍....
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास, हम होंगें क़ामयाब एक दिन.... 🙏 🇮🇳.@INCDelhi #Congress #Delhi #काँग्रेस
— Alka Lamba - अलका लाम्बा🇮🇳 (@LambaAlka) February 16, 2020
बता दें कि पुरानी दिल्ली की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. बल्लीमारान से दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ, चांदनी चौक से अलका लांबा और मटिया महल से मिर्जा जावेद अली अपनी जमानत नहीं बचा सके. इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नतीजा चांदनी चौक से अलका लांबा का रहा क्योंकि उन्होंने आम आदमी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था.
दूर-दूर तक नहीं दिखीं अलका लांबा
पिछली बार अलका लांबा आम आदमी पार्टी के टिकट पर 18287 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थीं, लेकिन इस बार इतनी बुरी हार हुई कि वे ऊपरी पायदान पर भी नहीं चढ़ सकीं. इस बार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रहलाद सिंह साहनी ने बीजेपी प्रत्याशी सुमन कुमार गुप्ता को 29584 वोटों से हरा दिया और अलका लांबा की जमानत जब्त हो गई. वे लड़ाई में कहीं दूर-दूर तक नहीं दिखीं.
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चांदनी चौक से कांग्रेस उम्मीदवार अलका लांबा को 3881 वोट मिले हैं. बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता को 21307 वोट हासिल हुए हैं. कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन यहां औसत से भी नीचे रहा है. कांग्रेस को यहां 5.03 प्रतिशत वोट मिले. अलका लांबा ने पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चांदनी चौक से रिकॉर्ड जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता को 16 हजार से अधिक से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी, लेकिन इस बार अलका लांबा अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं.
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दिल्ली चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद पार्टी के राज्य अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और पी. सी. चाको के इस्तीफे के बाद पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली इकाई का जिम्मा शक्ति सिंह गोहिल को सौंप दिया है.