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टूलकिट केस: दिल्ली HC में बोली पुलिस- हमने नहीं लीक किया दिशा का व्हाट्सऐप चैट

दिशा रवि ने अपने व्हाट्सऐप चैट लीक किए जाने को अपनी गोपनीयता, प्रतिष्ठा और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसके प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की.

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टूलकिट केस में दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया है
टूलकिट केस में दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टूलकिट केस में गिरफ्तार की गई दिशा रवि
  • कल पटियाला कोर्ट में दिशा रवि की पेशी

टूलकिट केस में गिरफ्तार पर्यावरणविद दिशा रवि ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाया खट खटाया है. दिशा रवि ने अपने व्हाट्सऐप चैट लीक किए जाने को अपनी गोपनीयता, प्रतिष्ठा और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसके प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. दिशा की इस याचिका पर आज हाई कोर्ट में सुनवाई हुई.

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हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस की ओर पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारे तरफ से व्हाट्सऐप चैट को लीक नहीं किया गया है, हम इस मामले में हलफनामा भी दायर कर सकते हैं. इस पर हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. अब मामले की सुनवाई कल यानी शुक्रवार को होगी.

क्या है दिशा रवि की याचिका

दिशा रवि को कल पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा. इससे पहले दिशा रवि की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर करके व्हाट्सऐप चैट को लीक किए जाने का विरोध किया है. दिशा रवि ने कहा कि मेरे निजी चैट को मीडिया में जानबूझकर लीक किया जा रहा है, मैं इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती हूं.

इसके साथ ही दिशा रवि ने अपने याचिका में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत व्हाट्सऐप चैट लीक करने वाले टीवी चैनलों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है. दिशा रवि ने कहा कि मेरे और थर्ड पार्टी के बीच हुआ संवाद निजता का मसला है और इसका उल्लंघन किया जा रहा है.

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टूलकिट मामले में कई खुलासे
दिल्ली पुलिस ने टूलकिट केस में कई खुलासे किए हैं. पुलिस के मुताबिक, पहला टूलकिट 23 जनवरी को बनाया गया था जबकि दूसरा टूलकिट 31 को बना. दिशा ने ग्रेटा थनबर्ग को 3 फरवरी को यह टूलकिट दिया, जिसे उन्होंने गलती से सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. बाद में उन्हें इसे डिलीट करना पड़ा.

पुलिस के मुताबिक, दूसरा टूलकिट अधिक विस्तार से था और इसमें अधिक लिंक, नाम और हैशटैग शामिल थे. इस दूसरे टूलकिट का प्रारूप मरीना पैटरसन द्वारा बनाया गया और यह तब बनाया गया था जब पहली टूलकिट के माध्यम से योजना 26 जनवरी को नाकाम हो गई थी. वे चाहते थे कि हिंसा हो और वे मान कर चल रहे थे कि 26 जनवरी को कई लोग पुलिस की कार्रवाई में मारे जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसा होता तो खालिस्तान उग्रवाद को फिर से हवा देने में मदद मिलती.

 

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